नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव (D. Subbarao) ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक (Central Bank) प्रत्यक्ष रूप से नोट की छपाई (RBI Money Printing) कर सरकार को जरूरी वित्त उपलब्ध करा सकता है. लेकिन, इसका उपयोग तभी होना चाहिए, जब कोई और उपाय न बचा हो. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अभी इस तरह की स्थिति नहीं है.
'लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था में आई नरमी'
सुब्बाराव ने बातचीत में कहा कि कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए राज्यों के स्तर पर लगाये गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था में नरमी आई है. इससे निपटने के लिए सरकार पैसा जुटाने के लिए कोविड बॉन्ड (Covid Bond) लाने के विकल्प पर विचार कर सकती है. यह बजट में निर्धारित कर्ज के अतिरिक्त नहीं बल्कि उसी के अंतर्गत होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आरबीआई सीधे नोट की छपाई (RBI Money Printing) कर सकता है, लेकिन यह तभी होना चाहिए जब कोई और उपाय नहीं बचा हो. निश्चित रूप से, ऐसा भी समय होता है जब प्रतिकूल प्रभाव होने के बावजूद अतिरिक्त मुद्रा की छपाई जरूरी होती है. यह स्थिति तब होती है, जब सरकार अपने घाटे का वित्त पोषण तार्किक दर पर नहीं कर सकती. सुब्बाराव ने कहा कि बहरहाल, हम अभी वैसी स्थिति में नहीं हैं.
क्या कोविडबॉन्डएक विकल्प है?
यह पूछे जाने पर कि क्या कोविड बॉन्ड एक विकल्प है, जिसके जरिये सरकार कुछ उधार लेने पर विचार कर सकती है, सुब्बाराव ने कहा कि यह कुछ अच्छा विकल्प है, जिसपर विचार किया जा सकता है. लेकिन यह बजट में निर्धारित उधार के अलावा नहीं, बल्कि उसके एक हिस्से के रूप में होना चाहिए.
दूसरे शब्दों में, सुब्बाराव ने कहा कि बाजार में उधार लेने के बजाय, सरकार लोगों को कोविड बॉन्ड जारी करके अपनी उधार आवश्यकताओं का एक हिस्सा इससे जुटा सकती है.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कोविड बॉन्ड से मुद्रा आपूर्ति नहीं बढ़ेगी और आरबीआई के नकदी प्रबंधन में इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
'केंद्रीय बैंक एक वाणिज्यिक संस्थान नहीं'
यह पूछे जाने पर कि क्या आरबीआई सरकार के राजकोषीय दबाव को कम करने में मदद के लिए अधिक मुनाफा कमा सकता है, उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक एक वाणिज्यिक संस्थान नहीं है और लाभ कमाना इसका उद्देश्य नहीं है.
यह पूछे जाने पर कि आर्थिक पुनरूद्धार के लिए आरबीआई और क्या कर सकता है, उन्होंने कहा कि एक साल पहले आयी महामारी की शुरुआत से ही आरबीआई तेजी से और नए-नए कदम उठाता आ रहा है.
सुब्बाराव ने कहा कि आने वाले समय में आरबीआई क्या कर सकता है, यह गवर्नर ने हाल में मौद्रिक नीति समीक्षा (monetary policy review) को लेकर अपने बयान में स्पष्ट किया है. उसमें कहा गया है कि नकदी का समान वितरण हो. यानी सर्वाधिक दबाव वाले क्षेत्रों को कर्ज की सुविधा मिले.
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