मुंबई: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि शेयर बाजार में आ रही तेजी को आर्थिक स्थिति में सुधार से नहीं जोड़ा जाना चाहिये, यह अतार्किक उत्साह के संकेत ही हो सकते हैं.
अर्थशासत्रियों ने इसके साथ ही अर्थव्यवस्था के प्रभावित क्षेत्रों के लिये दूसरे दौर के वित्तीय समर्थन पर भी जोर दिया है.
उन्होंने चेतावनी देते हुये भी कहा है कि बैंक सितंबर के बाद जब कर्ज वापसी पर लगी छह माह की रोक अवधि समाप्त हो जायेगी गैर- निष्पादित राशि (एनपीए) के बढ़े हुये आंकड़े जारी कर सकते हैं.
कोविड-19 प्रसार के शुरुआती दिनों में शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई. इस दौरान बाजार 20 प्रतिशत से अधिक तक गिर गये थे. इसके बाद पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान बाजार चढ़े हैं और उन्होंने नुकसान की कुछ भरपाई की है.
मजेदार बात यह है कि विश्लेषकों के बीच जब जीडीपी में गिरावट आने की चर्चा जोर पकड़ रही है उस समय बाजार चढ़ रहे हैं. कुछ विश्लेषकों ने तो यहां तक कहा है कि 2020- 21 के दौरान जीडीपी पांच प्रतिशत तक गिर सकती है.
अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा है कि तेजी से चढते बाजार और आर्थिक स्थिति में सुधार के बीच कमजोर जुड़ाव दिखाई देता है. यह जो स्थिति दिखाई दे रही है वह मोटे तौर पर "अतार्किक उत्साह" ही हो सकता है.
उन्होंने कहा कि बाजार में आ रही तेजी के पीछे रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सरल नकदी का भी योगदान हो सकता है.
अर्थशास्त्रियों ने कहा, "बाजार यदि अच्छे हैं तो का मतलब बेहतर अर्थव्यवस्था नहीं हो सकता है."
अर्थशास्त्री यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के लिये भारत केवल कृषि क्षेत्र की बेहतरी पर ही निर्भर नहीं रह सकता है.