नई दिल्ली: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आर्थिक मोर्चे पर बड़ी राहत देते हुए ब्याज दरों में भारी कटौती की है. रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कटौती करते हुए इसे 5.15 से घटाकर 4.4 फीसदी कर दिया.
इसके साथ ही आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को 90 आधार अंकों की कटौती की है. नई रिवर्स रेपो रेट 4 फीसदी है. आरबीआई एमपीसी नीति ने 4: 2 बहुमत से दर में कटौती का निर्णय लिया.
प्रणाली में मुद्रा आपूर्ति को बढ़ावा देने के उपाय:
- सिस्टम में मनी सप्लाई को बेहतर बनाने के लिए, आरबीआई एक साल की अवधि के लिए सभी बैंकों के कैश रिज़र्व रेशियो (सीआरआर) में 100 आधार अंकों की कटौती करेगा, जो कि 4 फीसदी से घटकर 3 फीसदी होगा. इस कदम से प्रणाली में 1.37 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता जारी होगी.
- आरबीआई ने न्यूनतम दैनिक सीआरआर बैलेंस को 90% से 80% तक बनाए रखने की आवश्यकता को भी कम करने का निर्णय लिया. यह एक बार की खिड़की जो कल लागू होगी, केवल 26 जून, 2020 तक लागू होगी.
- आरबीआई ने वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के 2% से मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी एमएसएफ के तहत आवास को एसएलआर के 3% तक बढ़ाने का निर्णय लिया. यह तत्काल प्रभाव में आ जाएगा और 30 जून, 2020 तक लागू होगा. यह प्रणाली में 1.37 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता भी जारी करेगा.
- सीआरआर और एमएसएफ में कमी, इन दो उपायों से प्रणाली में कुल 2.74 लाख करोड़ रुपये की तरलता का अनुमान लगाया जाएगा.
ईएमआई भुगतान पर बड़ी राहत:
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों से ग्राहकों को कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई के भुगतान में तीन महीने की छूट देने को कहा. कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये देश भर में आवागमन पर पाबंदी से लोगों को हो रही समस्या को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
साथ ही आरबीआई ने बैंकों को कार्यशील पूंजी के लिए दिए गए कर्ज पर ब्याज तीन महीने जून 2020 तक टालने की भी अनुमति भी दी है.
इन उपायों से उन लोगों और इकाइयों को राहत मिलेगी जो आर्थिक गतिविधियां ठप होने से प्रभावित हैं तथा ऋण की किस्त देने की स्थिति में नहीं हैं.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मौजूदा स्थिति असाधारण है, सभी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप है. ऐसे में संकट में फंसी अर्थव्यवस्था की मदद के लिये बड़े कदम उठाने की जरूरत है.
दास ने यह भी कहा कि कर्ज की किस्त और ब्याज तीन महीने के टाले जाने को चूक नहीं माना जाएगा और इससे कर्जदार की साख खराब नहीं होगा.
बता दें कि एक बड़े फैसले में, आरबीआई ने प्रणाली में उधारदाताओं जैसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, आरआरबी, सहकारी बैंक, छोटे वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र के बैंक, एनबीएफसी और माइक्रो-फाइनेंस संस्थान को, बकाया होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन जैसे सभी टर्म पर 31 मार्च 2020 को ईएमआई के संबंध में रोक लगाने की अनुमति दी है.
- इसका अर्थ है कि ऐसे सभी ऋणों के लिए कार्यकाल तीन महीने तक स्थानांतरित किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि अगर उधारकर्ता इन तीन महीनों के दौरान ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं, तो उधार देने वाला संस्थान इसकी अनुमति दे सकता है और उनके खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा.
व्यवसायों के लिए राहत: - व्यापारिक समुदाय को एक बड़ी राहत देते हुए, आरबीआई ने बैंकों और एनबीएफसी और अन्य सभी ऋण संस्थानों को नकद ऋण पर ब्याज भुगतान को स्थगित करने की अनुमति दी, उधारकर्ताओं की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ओवरड्राफ्ट सुविधाओं को मंजूरी दी.
- आरबीआई ने कहा कि अवधि के लिए संचित ब्याज का भुगतान आस्थगित अवधि की समाप्ति के बाद किया जाएगा.
अन्य मुख्य बातें:
- विकास को समर्थन देने के लिए आरबीआई इस नीति को तब तक बनाए रखेगा जब तक आवश्यक हो.
- आरबीआई ने लॉकडाउन के दौरान व्यवसाय की निरंतरता बनाए रखने के लिए अपने कार्यालय में 150 कर्मियों, सहायक कर्मचारियों को नियुक्त किया है.
- आरबीआई का कहना है कि अगर कोविड -19 महामारी और आपूर्ति में व्यवधान जारी रहा, तो भारत पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ वैश्विक मंदी गहरा सकती है.
- आरबीआई का कहना है कि जनवरी और फरवरी के लिए मुद्रास्फीति की संख्या प्याज की कीमत के झटके के कारण उसके पहले के अनुमानों से 30 आधार अंक अधिक है.
- आरबीआई का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट अंततः थोक और खुदरा मुद्रास्फीति दोनों को कम कर सकती है.
- आरबीआई का यह भी कहना है कि वित्तीय बाजार में अस्थिरता का असर मुद्रास्फीति पर पड़ सकता है.
- कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से अनिश्चित स्थिति के कारण मुद्रास्फीति और जीडीपी वृद्धि दोनों अनुमानों के लिए आरबीआई ने अनुमान देने से इनकार कर दिया.
- आरबीआई का कहना है कि वित्त अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है और इसका प्रवाह बनाए रखना बैंक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
- आरबीआई का कहना है कि कोविड-19 के कारण तनाव में चल रही तरलता की स्थिति में सुधार के लिए लक्षित और प्रणाली-आधारित तरलता उपायों को अपनाया गया है.
- आरबीआई पॉलिसी रेपो दर पर 1 लाख करोड़ रुपये के दीर्घकालिक रेपो परिचालन की नीलामी करेगा. इन लंबी शर्तों के संचालन की अवधि तीन महीने होगी.
- इस विंडो के तहत, आज 25,000 करोड़ रुपये की पहली नीलामी आयोजित की जाएगी.
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