नई दिल्ली: भारत और अन्य देशों में कोरोना वायरस के मामलों में लॉकडाउन हटने के बाद तेजी देखने को मिली है. भारत में मोदी सरकार ने 8 जून से अर्थव्यवस्था को अनलॉक करना शुरू कर दिया था. पांच मार्च से सात जून तक चले लॉकडाउन के अनलॉक करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है.
अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ ही राजस्व संग्रह में लगातार वृद्धि देखने को मिली थी. जून में भारत के जीएसटी संग्रह ने पूर्व-कोविड स्तर को लगभग छू लिया है, लेकिन इसी अवधि के दौरान नए कोरोना मामलों की संख्या भी 2 लाख से 6 लाख हो गई है.
पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों को अत्यधिक सावधानी के साथ लॉकडाउन खोलने के लिए कहा था क्योंकि इससे कोविड-19 संक्रमणों में संभावित पुनरुत्थान हो सकता है.
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कुछ अर्थशास्त्रियों ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उपायों की प्रभावकारिता पर भी संदेह व्यक्त किया है. जिसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था को तब तक पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है जब तक कि चिकित्सा विज्ञान कोरोना वायरस के लिए कोई ठोस दवा या वैक्सिन नहीं बना लेता. अत्यधिक संक्रामक वायरस ने दुनिया भर 5,18,000 से अधिक लोगों की अपनी चपेट में ले चुका है.
इस मुद्दे पर बात करते हुए आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने कहा कि कोरोना की दवाई कब तक आती है ये देखने वाली बात होगी लेकिन इस बीच हम कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. यह काफी मुश्किल है कि कोरोना से निपटें या लोगों की आजीविका बचाएं.
देश में पुष्टि किए गए कोरोना मामलों की संख्या पहले ही 6 लाख के पार चली गई है. वहीं, अमेरिका (27,31,000), ब्राजील (14,10,000) और रूस (6,54,000) के बाद भारत कोरोना मरीजों के मामलों में दुनिया में चौथी स्थान पर पहुंच गया है.
मार्च के अंत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए दुनिया में सबसे कठोर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया था. हालांकि, लॉकडाउन ने देश में आर्थिक गतिविधियों को भी रोक दिया है.
कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले कुछ महीनों से आर्थिक गतिविधियों के सिकुड़ते रहने से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत आने वाले सरकारी राजस्व पर बुरा असर पड़ रहा है. यही वजह है कि यह जून में एक लाख करोड़ के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे गिरकर 90,917 करोड़ रुपये ही प्राप्त हो पाया है. जून में प्राप्त हुआ संग्रह, पिछले वर्षों की संख्या का 91 प्रतिशत है.
अप्रैल महीने में जीएसटी संग्रह केवल 32,294 करोड़ रुपये था, जो पिछले साल के इसी महीने के दौरान एकत्र किए गए राजस्व का 28 प्रतिशत था. इसके अलावा मई महीने के लिए जीएसटी संग्रह 62,009 करोड़ रुपये था, जो पिछले साल इसी महीने के दौरान एकत्र किए गए राजस्व का 62 प्रतिशत था.