नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये देशव्यापी 'लॉकडाउनन' के कारण होटल और रेस्तरां के बंद होने से कम- से-कम मार्च-अप्रैल के दौरान खाद्य तेलों की मांग में गिरावट आने की संभावना है.
देश की कुल खाद्य तेल की मांग का 40 प्रतिशत भाग होटल, रेस्तरां और 'कैफेटेरिया' का होता है. देश में खाद्य तेल की वार्षिक मांग 23 करोड़ टन का है.
भारतीय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स संघ (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि खाद्य तेल आयात और इसके प्रसंस्करण की गतिविधियों में भी कमी आई है, लेकिन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है.
मेहता ने कहा, "खाद्य तेल की मासिक खपत 18-19 लाख टन प्रति माह है. होटल, रेस्तरां और 'कैफेटेरिया' बंद हो जाने से निश्चित रूप से मांग में गिरावट आएगी.
हालांकि, उन्होंने कहा कि गिरावट की सीमा का अनुमान लगाना मुश्किल होगा क्योंकि लॉकडाउन अवधि के दौरान घरेलू खपत में थोड़ी वृद्धि हो सकती है. मेहता ने कहा कि वनस्पति तेलों (खाद्य और अखाद्य तेल) का आयात भी धीमा हो गया है, लेकिन उपलब्धता के बारे में कोई चिंता नहीं है.
मेहता ने कहा, "हमारे पास आयातित तेल का पर्याप्त स्टॉक है। सरसों के तेल का स्थानीय उत्पादन हो रहा है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में सरसों की फसल की कटाई चल रही है, इसलिए सभी स्थानीय खाद्य तेल प्रसंस्करण करने वाली मिलें काम कर रही हैं.