हैदराबाद: सरकार ने बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिये लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच 1.70 लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की घोषणा की.
इस राहत पैकेज के द्वारा 1.70 लाख करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज से निश्चित रूप से उन जरूरतमंद लोगों को राहत मिलेगी जो कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक बाधाओं से प्रभावित हुए हैं. यह सही दिशा में उठाया गया कदम है. इससे लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के तत्काल राहत मिलेगी.
पीएम गरीब कल्याण योजना के रूप में पैक की गई विभिन्न पहलें हाशिये पर रहने वाले समाज के वर्गों को कवर करती हैं. असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, निर्माण श्रमिकों, विधवाओं, वरिष्ठ नागरिकों आदि और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और खाद्य सुरक्षा के माध्यम से आय सहायता प्रदान करने का इरादा रखते हैं.
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सरकार को यह कदम आगे भी उठाना पड़ सकता है क्योंकि शायद इस लॉकडाउन को आगे भी बढ़ाया जा सकता है.
कहां हुई सरकार से चूक?
राहत पैकेज व्यवसाय या निर्माता सेगमेंट को संबोधित नहीं करता है. जिनमें से कुछ को विशेष रूप से इसकी जरुरत है. उद्योग जगत इस समय संकट में फंसे उद्योग खासकर लघु एवं मझोले उद्यमों की मदद के लिये भी कुछ उपायों की उम्मीद कर रहा है जिनके पास मौजूदा हालात में नकदी प्रवाह बहुत कम है.
आरबीआई के उपाय
हालांकि, आरबीआई ने बैंकों को ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करने और अतिरिक्त धनराशि को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत दरों में 75 बीपीएस अंकों की कटौती की है. इसी तरह एक मार्च, 2020 को बकाया ऐसी सुविधाओं पर कार्यशील पूंजी सीमा पर ब्याज तीन महीने के लिए टाल दिया जा सकता है. इससे उद्योग को ब्याज सेवा के दबाव से राहत मिलनी चाहिए.
ऐसी ऋण सुविधाओं में बकाया राशि और अनुसूचित किश्तों के स्थगन के बाद बैंकों को राहत देने वाली गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा. ये लॉकडाउन के कारण फर्मों द्वारा सामना किए जाने वाले नकदी प्रवाह संकट पर के लिए पर्याप्त हैं. ऋण-सेवा और सस्ती ऋण उपलब्धता से अस्थायी रूप से राहत मिलेगी.
अब तो यह समय ही बताएगा की अस्थायी मौद्रिक सहायता कमजोर फर्मों के दिवालिया होने को रोकने के लिए कितना पर्याप्त है.
मौजूदा वित्तीय सहायता जिसमें व्यापार क्षेत्र के लिए कुछ नहीं है. वह सहायता इतनी मजबूत नहीं हो सकती है. सरकार शायद व्यापार क्षेत्रों के लिए आने वाले दिनों में कुछ राहत पैकेज ला सकती है.
(लेखक - रेणु कोहली, वृहत आर्थिक विशेषज्ञ, नई दिल्ली. लेखक के विचार व्यक्तिगत हैं.)