नई दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' (बंद) के कारण देश की कृषि वृद्धि में कुछ गिरावट आएगी.
चंद ने एक रिपोर्ट में कहा कि गैर-कृषि क्षेत्रों में कीमत में गिरावट (अवस्फीति) की गंभीर आशंका है जबकि कृषि क्षेत्र में ग्राहकों के स्तर पर अस्थायी तौर पर कीमत वृद्धि देखने को मिल सकती है. वहीं उत्पादक के स्तर पर मूल्य धाराशायी हो सकता है.
कोविड-19 और भारत में खाद्य व्यवस्था को जोखिम शीर्षक से अध्ययन में कहा गया है, "वृहत स्तर पर कोविड-19 कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों को अलग-अलग प्रभावित कर सकता है."
इसमें कहा गया है, "एक तरफ कृषि क्षेत्र में वी (वी) आकार या डब्ल्यू (डब्ल्यू) आकार का पुनरूद्धार देखने को मिल सकता है, दूसरी तरफ कृषि उत्पादन में तीव्र गिरावट या वृद्धि के बिना क्षेत्र की वृद्धि दर में मध्यम और दीर्घ अवधि में हल्की गिरावट आएगी."
वी आकार के सुधार का मतलब गिरावट के बाद तेजी से सुधार होता है जबकि डब्ल्यू आकार के सुधार में लम्बे तक अनश्चितता रहती है. उसमें एक बार वृद्धि दर में सुधार के बाद उसमें दोबारा गिरावट और उसके बाद सुधार होता है. कृषि अर्थशास्त्री चंद ने कहा कि कोविड-19 को लेकर कुछ सामान्य अनुमानों के बावजूद ऐसा जान पड़ता है कि दुनिया अनिश्चितता के साथ नीति निर्माण के एक अनजान से क्षेत्र में प्रवेश कर रही है.