बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत:कोरोना वायरस प्रेरित लॉकडाउन के हटने के बाद भारतीय उद्यमिता में पुनरुद्धार के संकेत के रूप में, अक्टूबर 2020 में नई कंपनियों का पंजीकरण 7 साल की ऊंचाई पर पहुंच गया.
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2019 में 9,933 की तुलना में अक्टूबर 2020 में कुल 16,607 कंपनियां स्थापित की गईं.
विशेष रूप से, जुलाई और अक्टूबर 2020 के बीच अनलॉक चरण के दौरान हर महीने 16,000 से अधिक कंपनियों की स्थापना की गई.
बता दें कि, जनवरी और फरवरी में पंजीकृत कंपनियों की संख्या क्रमशः 12,749 और 10,429 थी. वहीं, लॉकडाउन प्रतिबंध के कारण मार्च में 5,788 और फिर अप्रैल में 3,209 कंपनियों का पंजीकरण हुआ.
लेकिन फिर जुलाई अनलॉक का दौर शुरू होने के साथ पंजीकरण की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई.
इसके अलावा, इन महीनों के दौरान सामान्य से अधिक संख्या में नई विनिर्माण कंपनियां सामने आईं. डेटा से पता चलता है कि अक्टूबर में पंजीकृत नई कंपनियों में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 22% थी, जबकि व्यावसायिक सेवा क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी 28% थी.
वर्तमान में, देश में व्यावसायिक सेवा कंपनियों की कुल हिस्सेदारी 32% है और विनिर्माण कंपनियों की संख्या 20% है.
विशेषज्ञों के अनुसार, तथ्य यह है कि नई विनिर्माण कंपनियां केवल 15% कॉर्पोरेट कर के अधीन हैं, जो इस क्षेत्र में अधिक उद्यमियों को आकर्षित कर रही हैं.
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उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का प्रभाव भी इन संख्याओं में दिखाई दे रहा था. केंद्र सरकार ने इस साल मार्च में मोबाइल और संबद्ध सेवा क्षेत्र के लिए एक पीएलआई योजना पेश की, जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों से बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है.
भारत में दुकान स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने के अलावा, इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना है.
बाद में नवंबर में, केंद्र सरकार ने इस योजना को 10 अन्य प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में विस्तारित किया, लेकिन इसका असर आने वाले महीनों के पंजीकरण डेटा में दिखाई देगा.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर 2020 तक देश में पंजीकृत कंपनियों की कुल संख्या 20.8 लाख थी, जिनमें से केवल 12.8 लाख ही सक्रिय थीं. डेटा से पता चलता है कि 7.5 लाख कंपनियों को बंद कर दिया गया था, 2,246 कंपनियों को कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार 'निष्क्रिय' का दर्जा दिया गया था, 6,821 परिसमापन के तहत थे और 39,403 कंपनियां बंद होने की प्रक्रिया में थीं.