नई दिल्ली :भारतीय रिजर्ब बैंक के एक लेख के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों को आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए राजकोषीय उपायों को जारी रखने की जरूरत है. अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान गिरावट से निपटने की नीति का अर्थ सरकार द्वारा करों को कम करने और व्यय बढ़ाने से है.
आरबीआई की - 'सरकारी वित्त 2020-21- छमाही समीक्षा' में एक लेख में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर 2020 में पूंजीगत व्यय ठप हो गया.
अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए खास कर स्वास्थ्य, सस्ते मकान , शिक्षा और पर्यावरण क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाना जरूरी है.
रिजर्व बैंक के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग के राजकोषीय प्रभाग के राहुल अग्रवाल, इप्सिता पाढी, सुधांशु गोयल, समीर रंजन बेहरा और संगीता मिश्रा द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है चालू वित्त वर्ष में पहले चार महीनों (जुलाई तक) में ही राजकोषीय घाटा पूरे साल के अनुमानित घाटे से ऊपर चला गया और अक्टूबर में यह बजट अनुमान के 119.7 प्रतिशत के बराबार था.
इस लेख में कहा गया है कि, "आर्थिक मंदी का प्रभाव राजस्व पक्ष पर गंभीर रहा है, जबकि व्यय काफी हद तक बाधित है. यह प्रभाव 2020-21 की पहली तिमारी बहुत हद तक देखने को मिला, जबकि दूसरी तिमाही में कुछ सुधार के संकेत हैं."