यह जानकारी 'फिक्की-भारतीय बैंक संघ' के सर्वेक्षण में सामने आयी है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि अधिकतर बैंकों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में तरलता परिदृश्य कमी वाला रहा है और भले ही इसमें हल्की बेहतरी हुई है लेकिन चौथी तिमाही में भी नकदी की स्थिति तंग बने रहने की संभावना है.
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बैंकों को चौथी तिमाही में भी नकदी स्थिति सख्त बने रहने के आसार: सर्वेक्षण
नई दिल्ली: देश के अधिकतर बैंकों को स्थिति में हल्के सुधार के बावजूद चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में भी नकदी की स्थिति सख्त बने रहने के आसार लगते हैं. सार्वजनिक, निजी, विदेशी और लघु वित्त क्षेत्र के 23 बैंकों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में नकदी तरलता परिदृश्य घाटे में ही रहा था.
इसकी वजह आगामी चुनाव, उच्च राजकोषीय घाटा, कर का बाह्य प्रवाह और साल के अंत में नकदी की मांग बढ़ना है. बैंक इस बात पर भी सहमत हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक ने तरलता को बनाए रखने के लिए खुले बाजार से खरीद के माध्यम से पर्याप्त कदम उठाए हैं और सुझाव दिया कि केंद्रीय बैंक को वित्त वर्ष की बची अवधि में खुले बाजार परिचालन के जरिये खरीद जारी रखनी चाहिए ताकि तंत्र में नकदी की स्थिति उचित स्तर पर बनी रहे. आठवें दौर के इस सर्वेक्षण में 23 बैंकों ने भाग लिया. सर्वेक्षण जुलाई से दिसंबर 2018 अवधि के दौरान किया गया.
(भाषा)