नई दिल्ली: कोविड 19 महामारी से मुकाबला करने के लिए सरकार द्वारा 2020-21 में किए गए खर्चों का ऑडिट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) शुरू कर देगा. एक शीर्ष आधिकारिक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया.
राष्ट्रीय ऑडिटर का यह कदम देश भर से आई कई रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है, जिसमें कोरोना वायरस से निपटने में परीक्षण किट, दवा और उपकरण खरीद, उपचार, नए मेडिकल बुनियादी ढांचे के निर्माण और अन्य रसद में भारी मात्रा में धनराशि के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है.
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "वर्ष 2020-21 के लिए पहले से ही एक योजना तैयार की जा रही है जो राज्यों में सरकारी चिकित्सा संस्थानों में दवाओं, दवाओं और उपकरणों की उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर केंद्रीकृत खरीद, वितरण और भंडारण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. कोविड 19 व्यय का एक अलग ऑडिट लेने की आवश्यकता नहीं है."
सूत्र ने बताया, "इस ऑडिट में कोविड 19 संबंधित कार्यों पर होने वाले खर्च शामिल होंगे. ऑडिट में इसके स्रोत राज्य चिकित्सा सेवा निगमों या स्वास्थ्य निगमों या राज्य सरकार के विभागों को शामिल किया जाएगा."
कैग के दक्षिणी क्षेत्र को लेखापरीक्षा के संचालन के लिए सौंपा गया है. बेशक, यह पहल कई कारकों पर निर्भर करेगी जैसे कि महामारी कितने समय तक चलती है.
कोविड19 ऑडिट बहुत आसान होता अगर सभी खर्च किए गए डेटा इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होते, जैसा कि आजकल प्रचलित डेटा के मैनुअल एंट्री के विपरीत है. हालांकि एक कदम निश्चित रूप से कैग को अपने काम और प्रक्रियाओं में एक पेपरलेस संस्था बनाने की ओर है.
इस कदम को विस्तार देते हुए, कैग राजीव महर्षि ने गुरुवार को ईटीवी भारत को बताया, "हमने भारत के राष्ट्रपति से एक नया कानून लाने की सिफारिश की है, जो सभी केंद्रीय और राज्यों के व्यय डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिकॉर्ड करना अनिवार्य कर देगा. हमने नया कानून भी सुझाया है जिसे 'डेटा जवाबदेही और पारदर्शिता अधिनियम' (डाटा) नाम दिया जा सकता है."