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बजट 2020: वित्त मंत्रालय ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में बदलाव को लेकर मांगें सुझाव - वित्त मंत्रालय ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में बदलाव को लेकर मांगें सुझाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2020-21 का बजट एक फरवरी 2020 को पेश करेंगी. सीतारमण ने अपने पहले बजट को संसद की मंजूरी के एक महीने के भीतर सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा की.

बजट 2020: वित्त मंत्रालय ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में बदलाव को लेकर मांगें सुझाव

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Published : Nov 13, 2019, 5:31 PM IST

Updated : Nov 13, 2019, 5:44 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने अगले बजट की तैयारी शुरू करते हुए उद्योग और व्यापार संघों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में बदलाव के बारे में उनके सुझाव मांगे हैं.

संभवत: यह पहली बार है जबकि वित्त मंत्रालय ने इस तरह के सुझाव मांगे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2020-21 का बजट एक फरवरी 2020 को पेश करेंगी. सीतारमण ने अपने पहले बजट को संसद की मंजूरी के एक महीने के भीतर सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा की.

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मंत्रालय जहां विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों और अंशधारकों के साथ बजट पूर्व विचार विमर्श करता है. संभवत: यह पहली बार है जबकि वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने सर्कुलर जारी कर व्यक्तिगत लोगों और कंपनियों के लिए आयकर दरों में बदलाव के साथ ही उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क जैसे अप्रत्यक्ष करों में बदलाव के लिए सुझाव मांगे हैं. इस सर्कुलर में उद्योग और व्यापार संघों से शुल्क ढांचे, दरों में बदलाव और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के लिए कर दायरा बढ़ाने के बारे में सुझाव आमंत्रित किए हैं.

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जो भी सुझाव दिए जाएं, वे आर्थिक रूप से उचित होने चाहिए. सर्कुलर में कहा गया है, "आपके द्वारा दिए गए सुझाव और विचारों के साथ उत्पादन, मूल्य, बदलावों के राजस्व प्रभाव के बारे में सांख्यिकी आंकड़े भी दिए जाने चाहिए."

सीतारमण ने सितंबर घटाया था कॉरपोरेट टैक्स
सीतारमण ने पांच जुलाई को अपने पहले बजट के बाद 20 सितंबर को घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को 30 से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की थी. इससे सभी तरह के अतिरिक्त शुल्कों को शामिल करने के बाद प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर 25.2 प्रतिशत पर पहुंचती है.

इनकम टैक्स को घटाने पर की भी मांग
इसके साथ ही एक अक्टूबर के बाद स्थापित होने वाली सभी विनिर्माण कंपनियों के लिये कर की दर को 15 प्रतिशत रखा गया है. इसमें अतिरिक्त कर और अधिभार सहित यह दर 17 प्रतिशत तक पहुंच जाती है. इसके साथ ही व्यक्तिगत आयकर की दर को घटाने की मांग भी उठी थी जिससे आम आदमी के हाथ में अधिक पैसा बचे और उपभोग बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया जा सके.

Last Updated : Nov 13, 2019, 5:44 PM IST

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