नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर नरमी और गिरती अर्थव्यवस्ता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी. बजट में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार सृजन को गति देने पर सरकार का जोर रह सकता है.
बजट में महिला सुरक्षा से लेकर बिजली, पानी और स्वास्थ्य तक से जुड़ी अहम घोषणाएं हो सकती हैं. यहां पढ़िए इस बजट में वित्त मंत्री के सामने क्या होंगी बड़ी चुनौतियां.
रोजगार पैदा करना
लगातार इकोनॉमी में स्लोडाउन के चलते युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. मोदी सरकार से उम्मीद है कि रोजगार बढ़ाने के लिए वो ऐसी योजनाओं को लाएगी जिससे आने वाले सालों में देश के युवाओं को रोजगार मिलने में तेजी आ सके.
मांग को बढ़ाना
वित्तमंत्री के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौती उपभोक्ताओं की मांगों को बढ़ाना. जिसके लिए आम आदमी के हाथ में अधिक धन देने की आवश्यकता है. टैक्स दर में कटौती और रोजगार सृजन से सरकार इस बढ़ा सकती है.
व्यापार युद्ध
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध ने भी भारत को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है. यहां तक कि भारत और अमेरिका के बीच मतभेद भी हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक सीमित व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. व्यापार तनाव बढ़ने से कर संग्रह और देश के निर्यात और आयात प्रभावित हो सकते हैं.
आर्थिक मंदी से निपटना
वित्तवर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5 प्रतिशत. यह पिछले 11 साल में सबसे कम है. सरकार को ग्रोथ बढ़ाने के लिए छोटे-मोटे उपाय की नहीं, बल्कि बड़े संरचनागत सुधार की जरूरत. आर्थिक मंदी को टक्कर देने के लिए सरकार को लम्बे समय तक सक्रिय रहना होगा, कठोर आर्थिक नीतियों को लचीला बनाना होगा.
पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को हासिल करना
इस लक्ष्य को पाने के लिये बड़े पैमाने पर निजी निवेश होना जरूरी है. सरकारी निवेश के दम पर इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. बुनियादी संरचना क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत है ताकि इसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को गति मिल सके.