नई दिल्ली: इस महीने लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सेना के जवान शहीद हुए, जिसने पूरे मामले में व्यापार और निवेश सहित पूरे द्विपक्षीय संबंधों को सुर्खियों में लाया.
कोविड-19 महामारी के प्रकोप और दो एशियाई दिग्गजों के बीच सीमा संघर्ष से पहले भी, विशेषज्ञों ने भारत के तकनीकी क्षेत्र में चीनी कंपनियों के बढ़ते प्रभाव के जोखिम की चेतावनी दी है.
मुंबई स्थित विदेश नीति थिंक टैंक, गेटवे हाउस द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डेटा-उन्मुख सेवाओं में चीन का रणनीतिक निवेश चिंता पैदा करता है.
जम्मू और कश्मीर में भारतीय सैनिकों की भीषण हत्या के लिए कुख्यात चीनी तकनीकी दिग्गजों और पाकिस्तान सेना की बॉर्डर एक्शन टीम्स (बैट्स) के बीच एक समानांतर रेखा खींचते हुए, विशेषज्ञों ने अलीबाबा जैसे वैश्विक तकनीकी दिग्गजों जो कि दिग्गज चीनी उद्यमी और निवेशक जैक मा के नेतृत्व में है, द्वारा किए गए निवेश को लेकर चेतावनी दी.
गेटवे हाउस की रिपोर्ट के अनुसार चीन की बैट कंपनियों, बायडू, अलीबाबा और टेनसेंट द्वारा किए गए निवेश, भारत के सॉफ्ट पॉवर सेक्टर जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और फिनटेक स्पेस में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ इन कंपनियों के सहजीवी संबंध के कारण चिंताजनक है.
ये कंपनियां अंतरराष्ट्रीय परिचालन के साथ वैश्विक दिग्गज हैं और अमेरिकी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं. अलीबाबा और बायडू अमेरिकी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं, वहीं टेनसेंट हांगकांग के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है.
विशेषज्ञ भारत के तकनीकी और स्टार्टअप क्षेत्र में इन तकनीकी दिग्गजों की गहरी पैठ के बारे में चेतावनी देते हैं.
गेटवे हाउस के विशेषज्ञ अमित भंडारी ने कहा, "प्रमोटर एक चीनी व्यक्ति है, इसलिए समस्या यह है कि यह कहने के लिए कि यह एक चीनी कंपनी नहीं है और किस बिंदु पर यह चीनी होती है."
उन्होंने ईटीवी भारत को बताया, "स्पष्ट रूप से, यहां सावधान रहना बेहतर है."