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बंगाल सरकार, जूट उद्योग के बीच वेतन समझौता, सीटू ने बनाये रखी दूरी - सीटू

नवीन समझौते के अनुसार नए कर्मचारियों को मौजूदा 257 रुपये के स्थान पर अधिकतम 385 रुपये प्रतिदिन का वेतन मिलेगा. इस साल जनवरी में राज्य सरकार ने अंतरिम राहत के रूप में नए नियुक्त कामगारों के लिए मजदूरी 327 रुपये प्रतिदिन कर दी थी.

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Published : Mar 15, 2019, 12:00 AM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने मिलों में आसन्न हड़ताल को रोकने के लिए जूट उद्योग के साथ मजदूरी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. श्रम मंत्री मलय घटक ने कहा कि समझौते पर बुधवार को हस्ताक्षर हुए, लेकिन यह समझौता आज से लागू हुआ है.

नवीन समझौते के अनुसार नए कर्मचारियों को मौजूदा 257 रुपये के स्थान पर अधिकतम 385 रुपये प्रतिदिन का वेतन मिलेगा. इस साल जनवरी में राज्य सरकार ने अंतरिम राहत के रूप में नए नियुक्त कामगारों के लिए मजदूरी 327 रुपये प्रतिदिन कर दी थी. नया समझौता 15 मार्च से ट्रेड यूनियनों द्वारा निश्चितकालीन हड़ताल आह्वान की पृष्ठभूमि में हुआ है.

इस हड़ताल का आह्वान वेतन संशोधन तथा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को लागू करने के लिए किया गया था. भारतीय राष्ट्रीय तृणमूल ट्रेड यूनियन कांग्रेस को छोड़कर 21 ट्रेड यूनियनों ने इस हड़ताल का आह्वान किया था. हालांकि, सेन्टर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने इस नए वेतन समझौते से दूर बनाए रखी.

सीटू समर्थित बंगाल चटकल मजदूर यूनियन के सचिव अनादि साहू ने कहा, "राज्य सरकार ने जूट मिल प्रबंधन को उकसाया है और मज़दूर विरोधी मज़दूरी समझौते को अंजाम दिलावाया है जो हमें स्वीकार्य नहीं है. हमने इस समझौते की पुष्टि नहीं की है."

उन्होंने कहा कि कुल 21 ट्रेड यूनियनों में से छह वाममोर्चा समर्थित ट्रेड यूनियन हैं, जिन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन कांग्रेस समर्थित इंटक, भाजपा समर्थित बीएमएस तथा तृणमूल कांग्रेस की ट्रेड यूनियन आईएनटीटीयूसी सहित अन्य प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने कल रात समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने कहा कि सीटू जल्द ही अपनी अगली कार्रवाई की घोषणा करेगा.
(भाषा)
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