नई दिल्ली: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के तहत गठित मधुमक्खी पालन विकास समिति ने आज अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस समिति का गठन प्रो. देबरॉय की अध्यक्षता में किया गया है.
बीडीसी का गठन भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के नए तौर तरीकों की पहचान करने के उद्देश्य से किया गया है ताकि इसके जरिए कृषि उत्पादकता, रोजगार सृजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने तथा जैव विविधता को संक्षित रखने में मदद मिल सके. इसके अलावा, 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मधुमक्खी पालन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
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अंतराष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संगठन-फाओ के 2017-18 के आंकडों के अनुसार शहद उत्पादन के मामले में भारत 64.9 हजार टन शहद उत्पादन के साथ दुनिया में आठवें स्थान पर रहा जबकि चीन 551 हजार टन शहद उत्पादन के साथ पहले स्थान पर रहा.
बीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार मधुमक्खी पालन को केवल शहद और मोम उत्पादन तक सीमित रखे जाने की बजाए इसे परागणों, मधुमक्खी द्वारा छत्ते में इकठ्ठा किए जाने वाले पौध रसायन, रॉयल जेली और मधुमक्खी के डंक में युक्त विष को उत्पाद के रूप में बेचने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे भारतीय किसान काफी लाभान्वित हो सकते हैं.
खेती और फसलों के क्षेत्र के आधार पर, भारत में लगभग 200 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र की क्षमता है, जबकि इस समय देश में ऐसे 3.4 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र हैं. मधुमक्ख्यिों के आवास क्षेत्र का दायरा बढ़ने से बढ़ने से न केवल मधुमक्खी से संबंधित उत्पादों की संख्या बढ़ेगी बल्कि समग्र कृषि और बागवानी उत्पादकता को भी बढ़ावा मिलेगा.