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आपातकालीन ऋण सुविधा के तहत आने वाले एमएसएमई को कर्ज देने से इनकार नहीं कर सकते बैंक: सीतारमण - बैंक

शत प्रतिशत गारंटीशुदा आपातकालीन ऋण सुविधा योजना के तहत 23 जुलाई 2020 तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक कुल 1,30,491.79 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत कर चुके हैं, जिसमें से 82,065.01 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं.

आपातकालीन ऋण सुविधा के तहत आने वाले एमएसएमई को कर्ज देने से इनकार नहीं कर सकते बैंक: सीतारमण
आपातकालीन ऋण सुविधा के तहत आने वाले एमएसएमई को कर्ज देने से इनकार नहीं कर सकते बैंक: सीतारमण

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Published : Jul 31, 2020, 7:52 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि बैंक आपातकालीन ऋण सुविधा के तहत एमएसएमई को कर्ज देने से इनकार नहीं कर सकते हैं और यदि कोई इनकार करता है तो इसकी आगे जानकारी दी जानी चाहिए.

शत प्रतिशत गारंटीशुदा आपातकालीन ऋण सुविधा योजना के तहत 23 जुलाई 2020 तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक कुल 1,30,491.79 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत कर चुके हैं, जिसमें से 82,065.01 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं.

सीतारमण ने उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, "बैंक आपातकालीन ऋण सुविधा के तहत कवर किए गए एमएसएमई को कर्ज देने से मना नहीं कर सकते. यदि इससे इनकार किया गया है, तो ऐसे उदाहरणों की सूचना दी जानी चाहिए. मैं इस पर गौर करूंगी."

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए तीन लाख करोड़ रुपये के गिरवी मुक्त ऋण सुविधा की घोषणा की थी.

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय भारतीय रिजर्व बैंक के साथ आतिथ्य क्षेत्र के लिए ऋण की किश्त अदायगी पर रोक (मोरोटोरियम) या ऋण पुनर्गठन योजना पर काम कर रहा है.

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उन्होंने कहा, "मैं आतिथ्य क्षेत्र के लिए मोरोटोरियम या पुनर्गठन के विस्तार की जरूरत को पूरी तरह समझती हूं. हम इस बारे में आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं."

सीतारमण ने कहा कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं और ऐसा हितधारकों तथा उद्योग विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद किया जा रहा है.

फिक्की ने सीतारमण के हवाले से ट्वीट किया, "पुनर्गठन पर ध्यान दिया जा रहा है. वित्त मंत्रालय आरबीआई के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है. सिद्धांत के रूप में पुनर्गठन की जरूरत को पूरी तरह स्वीकार किया गया है."

(पीटीआई-भाषा)

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