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साल 2020 में कैसा रहा ऑटो सेक्टर का सफर

भारतीय ऑटो क्षेत्र को इस वर्ष कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण बिक्री पर ब्रेक लगाने से लेकर विनिर्माण तक हिट लगाने तक. आइए एक नजर डालते हैं कि वर्ष 2020 ऑटो उद्योग के लिए कैसा रहा.

साल 2020 में कैसा रहा ऑटो सेक्टर का सफर
साल 2020 में कैसा रहा ऑटो सेक्टर का सफर

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Published : Dec 25, 2020, 7:14 PM IST

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत :पिछले एक दशक के दौरान भारतीय विनिर्माण में सफलता देखने वाले ऑटो सेक्टर ने वर्ष 2020 की शुरुआत ही चुनौतियों के साथ की थी. 2019 में उपभोक्ता की मांग में कमी और बुनियादी ढांचे से जुड़े काम में कमी के कारण उद्योग की बिक्री में लगातार गिरावट आई.

उद्योग नए साल में पुनरुद्धार की उम्मीद कर रहा था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी ने सभी आशाओं को धराशायी कर दिया. एक अभूतपूर्व आपदा ने ऑटो निर्माताओं की सभी अफेक्षाओं, योजनाओं को धराशायी कर दिया और उन्हें नई वास्तविकता के लिए तत्पर किया.

इस आपदा में कुछ निर्माताओं को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा, वहीं कुछ ने इसे संभाल लिया. आइए एक नजर डालते हैं कि भारत में संचालित होने वाली ऑटो कंपनियों के लिए वर्ष 2020 तक कैसा रहा.

बिक्री पर लॉकडाउन का प्रभाव

कोविड से पहले, ऑटो सेक्टर प्रमुख रूप से भारत स्टेज (बीएस) VI के नए नियमों को समायोजित करने के लिए संघर्ष कर रहा था, जो कि 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी होने वाले थे.

उद्योग बीएस-IV स्टॉक को समाप्त करने के लिए काम कर रहा था, जो बिक्री को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा था. लेकिन इसी बीच लॉकडाउन की घोषणा की गई, जिसने क्षेत्र को एक ठहराव में ला दिया.

लॉकडाउन के शुरुआती हफ्तों में ऑटो मैन्युफैक्चरिंग में डीलर शोरूम बंद होने से अचानक ठहराव आ गया.

घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता परिचालन, लॉजिस्टिक अधिशेष, अपर्याप्त श्रमबल के बंद होने और बिक्री में कमी के कारण होने वाले तरलता के मुद्दों के कारण उत्पादन नेटवर्क की पूरी श्रृंखला में व्यवधान थे.

राज्यसभा को सौंपी गई हालिया संसदीय पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान मोटर वाहन क्षेत्र को प्रतिदिन 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें लगभग 3.5 लाख की नौकरी का नुकसान हुआ.

हालांकि, सितंबर से देश अनलॉक मोड में चला गया. उत्सव और शादी के मौसम की तैयारियों के बीच उत्पादन, घरेलू बिक्री और निर्यात के रुझान में सुधार के संकेत दिखाई देने लगे.

सभी खंडों में से, ट्रैक्टर, यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों ने इस साल बेहतर प्रदर्शन किया. हालांकि, धीमी गति से होते आर्थिक विकास के कारण वाणिज्यिक वाहनों की मांग में अभी भी सुधार का इंतजार है. तीन पहिया वाहन सबसे ज्यादा प्रभावति सेगमेंट है.

इलेक्ट्रिक वाहन का सहारा

इलेक्ट्रिक कार (ईवी) स्पेस, जो कि 2019 में अलग-अलग कार निर्माताओं और नई सरकार की नीतियों द्वारा नए उत्पाद लॉन्च की घोषणा के साथ संपन्न हो रहा था, इस साल थोड़ा थम गया क्योंकि पूंजी-गहन योजनाओं पर विराम लग गया था.

लेकिन सरकार ने भारत में ईवी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की कि देश भर में लगभग 69,000 पेट्रोल पंपों पर कम से कम एक इलेक्ट्रिक चार्जिंग कियोस्क स्थापित किया जाएगा.

इससे पहले, उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई निर्णय पहले ही लिए जा चुके थे जैसे कि ईवीएस पर जीएसटी में 5% तक की कमी, वाहन की लागत से 2-पहिया और 3-पहिया वाहनों की बैटरी की लागत को कम करना आदि.

दिल्ली और तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों ने भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क से 100% छूट की तरह प्रोत्साहन की घोषणा की.

अभी भी ईवी की बिक्री का कोविड के सदमे से उबरना बाकि है. हालांकि टाटा नेक्सॉन ईवी ने सितंबर-नवंबर 2020 के दौरान अच्छी वृद्धि दर्ज की है, जो 2000-बिक्री के मील के पत्थर को पार कर भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार बन गई है.

नए मॉडल

इस साल जब ऑटो ऑटो मेजर बिक्री की कमी से जूझ रहे थे, उस दौरान भी एमजी और किआ ने नए कार मॉडल के साथ एक ड्रीम रन बनाया था, जिसने बाजारों में भारी चर्चा पैदा की.

किआ मोटर्स ने नवंबर के महीने में बिक्री में सालाना आधार पर 50% की अच्छी वृद्धि दर्ज की. सेल्टोस की भारी सफलता के बाद, किआ के नए लॉन्च किए गए सॉनेट ने सब-कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट में अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाबी हासिल की.

किआ मोटर्स 1 लाख संचयी बिक्री का मील का पत्थर हासिल करने के लिए भारत में सबसे तेज कार निर्माता बन गई.

इसी तरह, एमजी भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, विशेष रूप से हेक्टर एसयूवी के साथ जो पिछले साल जुलाई में लॉन्च किया गया था. हेक्टर के बाद, कंपनी ने कुछ ही समय में भारत में कई नई कारों को लॉन्च किया है, जिसमें इलेक्ट्रिक क्रॉसओवर जेडएस ईवी और ग्लस्टर शामिल हैं.

नवंबर 2020 में, एमजी मोटर इंडिया ने 4,163 कारों की बिक्री करके भारत में अपनी अब तक की सबसे अधिक मासिक बिक्री दर्ज की, जो पिछले साल की तुलना में 28.5% ज्यादा है.

कुछ मॉडल ने लिया बाहर का रास्ता

जहां एक ओर बाजार में नए मॉडल अपना जलवा बिखेर रहे थे, वहीं बाइक निर्माता हार्ले डेविडसन ने एक वैश्विक पुनर्गठन योजना के हिस्से के रूप 11 वर्षों के संचालन के बाद भारत से अपना व्यापार समेट लिया.

प्रीमियम मोटरसाइकिल सेगमेंट में बढ़ते घाटे और सिकुड़ते मार्केट शेयर ने कंपनी को भारत से बाहर कर दिया. कोविड के बाद ऑटो सेक्टर में यह पहली कैजुअल्टी बन गई

हालांकि, कुछ हफ्ते बाद, कंपनी ने कहा कि देश में हार्ले बाइक बिकती रहेगी क्योंकि हीरो मोटोकॉर्प के साथ एक करार किया गया था. समझौते के तहत, हीरो देश में हार्ले-डेविडसन ब्रांड नाम के तहत कई प्रीमियम मोटरसाइकिलों का विकास और बिक्री करेगा. यह हार्ले बाइक के लिए सेवा और भागों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखेगा.

आउटलुक

विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू वाहन बिक्री में वृद्धि की गति आने वाले महीनों में जारी रह सकती है क्योंकि लॉकडाउन और त्यौहारों के खत्म होने के बाद मांग में तेजी आई है.

इसके अलावा, मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा 1 जनवरी 2021 से शुरू की गई कीमतों में बढ़ोतरी, इनपुट और कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि भी खरीदार की भावना को प्रभावित करेगी.

हालांकि, ऑटो विनिर्माण ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए सरकार की हाल ही में घोषित उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के पीछे कुछ पुनरुद्धार देख सकता है.

ऑटोमोबाइल उद्योग अगले पांच वर्षों में 57,042 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा लाभार्थी होगा. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने कहा कि कदम भारतीय ऑटो उद्योग को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा, निर्यात में सुधार करेगा और उत्पादन को पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं में बेहतर बनाएगा.

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