बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत :पिछले एक दशक के दौरान भारतीय विनिर्माण में सफलता देखने वाले ऑटो सेक्टर ने वर्ष 2020 की शुरुआत ही चुनौतियों के साथ की थी. 2019 में उपभोक्ता की मांग में कमी और बुनियादी ढांचे से जुड़े काम में कमी के कारण उद्योग की बिक्री में लगातार गिरावट आई.
उद्योग नए साल में पुनरुद्धार की उम्मीद कर रहा था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी ने सभी आशाओं को धराशायी कर दिया. एक अभूतपूर्व आपदा ने ऑटो निर्माताओं की सभी अफेक्षाओं, योजनाओं को धराशायी कर दिया और उन्हें नई वास्तविकता के लिए तत्पर किया.
इस आपदा में कुछ निर्माताओं को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा, वहीं कुछ ने इसे संभाल लिया. आइए एक नजर डालते हैं कि भारत में संचालित होने वाली ऑटो कंपनियों के लिए वर्ष 2020 तक कैसा रहा.
बिक्री पर लॉकडाउन का प्रभाव
कोविड से पहले, ऑटो सेक्टर प्रमुख रूप से भारत स्टेज (बीएस) VI के नए नियमों को समायोजित करने के लिए संघर्ष कर रहा था, जो कि 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी होने वाले थे.
उद्योग बीएस-IV स्टॉक को समाप्त करने के लिए काम कर रहा था, जो बिक्री को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा था. लेकिन इसी बीच लॉकडाउन की घोषणा की गई, जिसने क्षेत्र को एक ठहराव में ला दिया.
लॉकडाउन के शुरुआती हफ्तों में ऑटो मैन्युफैक्चरिंग में डीलर शोरूम बंद होने से अचानक ठहराव आ गया.
घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता परिचालन, लॉजिस्टिक अधिशेष, अपर्याप्त श्रमबल के बंद होने और बिक्री में कमी के कारण होने वाले तरलता के मुद्दों के कारण उत्पादन नेटवर्क की पूरी श्रृंखला में व्यवधान थे.
राज्यसभा को सौंपी गई हालिया संसदीय पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान मोटर वाहन क्षेत्र को प्रतिदिन 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें लगभग 3.5 लाख की नौकरी का नुकसान हुआ.
हालांकि, सितंबर से देश अनलॉक मोड में चला गया. उत्सव और शादी के मौसम की तैयारियों के बीच उत्पादन, घरेलू बिक्री और निर्यात के रुझान में सुधार के संकेत दिखाई देने लगे.
सभी खंडों में से, ट्रैक्टर, यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों ने इस साल बेहतर प्रदर्शन किया. हालांकि, धीमी गति से होते आर्थिक विकास के कारण वाणिज्यिक वाहनों की मांग में अभी भी सुधार का इंतजार है. तीन पहिया वाहन सबसे ज्यादा प्रभावति सेगमेंट है.
इलेक्ट्रिक वाहन का सहारा
इलेक्ट्रिक कार (ईवी) स्पेस, जो कि 2019 में अलग-अलग कार निर्माताओं और नई सरकार की नीतियों द्वारा नए उत्पाद लॉन्च की घोषणा के साथ संपन्न हो रहा था, इस साल थोड़ा थम गया क्योंकि पूंजी-गहन योजनाओं पर विराम लग गया था.
लेकिन सरकार ने भारत में ईवी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की कि देश भर में लगभग 69,000 पेट्रोल पंपों पर कम से कम एक इलेक्ट्रिक चार्जिंग कियोस्क स्थापित किया जाएगा.
इससे पहले, उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई निर्णय पहले ही लिए जा चुके थे जैसे कि ईवीएस पर जीएसटी में 5% तक की कमी, वाहन की लागत से 2-पहिया और 3-पहिया वाहनों की बैटरी की लागत को कम करना आदि.
दिल्ली और तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों ने भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क से 100% छूट की तरह प्रोत्साहन की घोषणा की.