नई दिल्ली: किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के मोदी सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में कृषि से संबद्ध क्षेत्र पशुपालन व डेयरी का अहम योगदान हो सकता है क्योंकि इस क्षेत्र की संभावनाओं को देखते हुए सरकार इस पर विशेष ध्यान दे रही है.
केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य-पालन मंत्रालय में सचिव अतुल चतुर्वेदी की मानें तो इस क्षेत्र में किसानों की आय में चार गुनी बढ़ाने की ताकत है और आने वाले दिनों में यह क्षेत्र 'गेम चेंजर' साबित होने वाला है.
बकौल चतुर्वेदी पशुपालन और डेयरी के क्षेत्र में अगर सही दिशा से काम किया जाए जो यह पांच साल में किसानों की आय बढ़ा कर दोगुना ही नहीं, चार गुना कर सकता है. उन्होंने यह बात किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य हालिस करने में इस क्षेत्र के योगदान पर पूछे गए सवाल पर कही.
आईएएनएस से खास बातचीत में अतुल चतुर्वेदी ने कहा, "देश की जीडीपी में कृषि का योगदान 12 फीसदी है, जबकि इसकी सालाना वृद्धि दर करीबन तीन फीसदी है. वहीं, पशुपालन और डेयरी की सालाना वृद्धि दर छह फीसदी है, जबकि जीडीपी में इसका योगदान महज चार फीसदी है.
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दरअसल, इस क्षेत्र में जितना ध्यान दिया जाना चाहिए उतना अब तक नहीं दिया गया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने इस दिशा में जो कदम उठाए हैं उससे आने वाले दिनों यह क्षेत्र गेम चेंजर साबित होने वाला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में मथुरा में लांच किए गए राष्ट्रीय पशु रोक नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीडीपी) और राष्ट्रीय कृत्रिम गभार्धान कार्यक्रम का जिक्र करते हुए 1986 बैच के असम और मेघालय काडर के आईएएस अधिकारी ने कहा कि पशुपालन क्षेत्र की संभावनाओं को देखते हुए मोदी सरकार 2.0 में इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, "पशुपालन के क्षेत्र में इतना बड़ा कार्यक्रम अब तक दुनिया के किसी देश में कहीं नहीं हुआ है. टीकाकरण का इतना बड़ा कार्यक्रम चाहे मानव के लिए हो या पशुधन के लिए दुनिया में आज तक कहीं नहीं हुआ है."
करीब ढाई महीने पहले ही पशुपालन व डेरी सचिव का पदभार संभालने वाले चतुर्वेदी ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत 51 करोड़ पशुधन को साल में दो बार फुट एंड माउथ डिसीज (पशुओं में होने वाली पैर और मुहं की बीमारी) के टीके लगवाए जाएंगे. इस तरह किसी एक बीमारी के लिए साल में 102 करोड़ बार टीके लगवाए जाएंगे. इसके साथ-साथ ब्रूसीलोसिस के 3.6 करोड़ टीके लगवाए जाएंगे.
उन्होंने कहा, "इस तरह दो बीमारियों के लिए साल में पशुधन को 105.6 करोड़ टीके लगवाए जाएंगे. पोलियो उन्मूलन की तरह मिशन मोड चलाया जा रहा पशु टीकाकरण का यह कार्यक्रम दुनिया का यूनीक कार्यक्रम है, जिसकी सराहना विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ओआईई ने (ऑफिस इंटरनेशनल डेस एपीजूटीज) भी की है.
उन्होंने बताया कि फुट एंड माउथ डिजीज (एफएंडडी) पशुओं की एक लाइलाज बीमारी है, जिससे किसानों का सालाना करीब 20,000 करोड़ का नुकसान होता है और ब्रूसीलोसिस के कारण 30,000 करोड़ का नुकसान होता है, इसलिए टीकाकरण से इन दोनों बीमारियों पर नियंत्रण कर किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए 2022 तक एफएंडडी मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
ब्रूसीलोसिस में पशुओं में समय से पहले और मृत बच्चे पैदा होते हैं जबकि एफएंडी में पशु बुखार से पीड़ित होते हैं और उनके मुंह व पैर में छाले पड़ जाते हैं. इससे गाय या भैंस कम दूध देती है और कमजोर हो जाती हैं. ये टीके अब गाय और भैंस के अलावा भेड़, बकरी और सूअर में भी लगेंगे.
दिल्ली विश्वविद्यालय से जंतु विज्ञान में मास्टर चतुर्वेदी ने कहा बताया कि इन दोनों बीमारियों पर नियंत्रण के लिए पांच साल के इन दोनों टीकाकरण पर पांच साल में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जाएगी, जिससे किसानों को 50,000 करोड़ रुपये सालाना के नुकसान से बचाया जाएगा.
उन्होंने कहा, "दुधारू पशु अगर रोगमुक्त होंगे और भारत से इन बीमारियों का उन्मूलन हो जाएगा तो हमारे दुग्ध उत्पादों की विदेशों में मांग बढ़ेगी जिसस हमारा निर्यात बढ़ेगा जो अभी बहुत कम है, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी." भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है.