नई दिल्ली: चीन की ओर से लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत के खिलाफ सैन्य आक्रामकता को बढ़ा दिया है, जिससे दोनों सेनाओं की बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो चुके हैं. इस घटनाक्रम के बीच चीन में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
देश की बेरोजगारी दर में वृद्धि, बढ़ते ऋण और तीव्र आर्थिक मंदी के साथ काफी चीनी नागरिकों में अनिश्चितता और चिंता बढ़ी हुई है, जिसकी वजह से चीन कूटनीतिक तौर पर अपने कदम पीछे रख सकता है.
इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की वजह से न केवल विश्व समुदाय बीजिंग पर सवाल उठा रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच भी चीन विरोधी भावनाएं बढ़ गई हैं. वहीं अब देश में कोरोनावायरस के प्रकोप की दूसरी लहर ने भी चीजों को बदतर बना दिया है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद से सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक के रूप में उभरे हैं. मगर पिछले कुछ महीनों के दौरान उनकी लोकप्रियता पर भी खासा असर पड़ा है. विश्लेषकों का कहना है कि शी फिलहाल कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सैन्य आक्रमण मौजूदा दबाव वाले मुद्दों से स्थानीय लोगों का ध्यान भटकाने के लिए एक कदम हो सकता है.
चीनी आर्थिक गतिविधियों ने उत्पादन शुरू करने वाली फैक्ट्रियों के साथ फिर से काम शुरू कर दिया है, मगर दुनिया भर में उसके निर्यात ऑर्डर घटते जा रहे हैं. चीन पिछले कई वर्षों से विभिन्न वस्तुओं का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है.
एक विश्लेषक ने कहा, "चीन यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा कर सकता है कि देश के लोगों का ध्यान उनके स्थानीय गंभीर मुद्दों से विचलित हो जाए." कई विश्लेषकों ने यह भी कहा है कि चीन अपनी स्वयं की ऋण कूटनीति में फंस सकता है, क्योंकि कई देशों को आगे होने वाले आर्थिक व्यवधानों के कारण उसे ऋण चुकाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
पाकिस्तान, किर्गिस्तान, श्रीलंका और कुछ अफ्रीकी देशों सहित कई देशों को ऋण या विलंब भुगतान के लिए मजबूर किया जा सकता है. अप्रैल में चीन की बेरोजगारी दर छह फीसदी थी. इसमें असंगठित क्षेत्र के आंकड़े शामिल नहीं है.