नई दिल्ली: केंद्र को कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' (बंद) से प्रभावित लोगों और कंपनियों की मदद के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2 से 2.5 प्रतिशत यानी करीब 4-5 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेना पड़ सकता है. यह राय पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की है.
उन्होंने कहा, "यह जरूरी है कि भारत सरकार यह कर्ज बाजार से लेने के बजाए सीधे रिजर्व बैंक से ले. इसके लिये राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) में संशोधन किया जाना चाहिए."
चालू वित्त वर्ष में सरकार की 7.8 लाख करोड़ रुपये बाजार से कर्ज लेने की योजना है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा है. इसमें से सरकार ने पहली छमाही में 4.88 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने का फैसला किया है.
गर्ग ने कहा कि इस संकट की घड़ी में सरकार को गैर-परंपरागत समाधान अपनाने की जरूरत है. उन्होंने ब्लाग पर लिखा है, "सरकार को छोटे एवं स्वयं काम कर इकायां चलाने वाले को मदद करनी चाहिए. इसके लिये 2 लाख करोड़ रुपये की जरूरत का अनुमान है...."