नई दिल्ली: साल 2016 से 2018 के बीच में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 लाख लोगों ने नोटबंदी के बाद अपनी नौकरी खो दी है. अजीम प्रेमजी यूनीवर्सिटी के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इम्लॉयमेंट ने 'स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2019' शीर्षक से रिपोर्ट जारी यह आकड़ें दिए हैं.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर नोटबंदी और नौकरी की कमी दोनों के बीच संबंध पूरी तरह से स्थापित नहीं किया जा सकता है. यानी रिपोर्ट में यह साफ तौर पर बेरोजगारी और नोटबंदी में संबंध नहीं दर्शाया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा प्रभावित हुई हैं. महिलाओं में बेरोजगारी दर सबसे अधिक होती है साथ ही कामगार वर्ग में भी उनकी हिस्सेदारी कम होती है.
ईटीवी से बात करते हुए रिपोर्ट के मुख्य लेखक डॉ. अमित बसोले ने कहा कि इस रिपोर्ट में हमने पिछले दो वर्षों के दौरान रोजगार की स्थिति का विश्लेषण किया है. हमने निष्कर्ष निकाला है कि 2017 से काम करने वालों का प्रतिशत गिरना शुरू हो गया है और यह गिरना जारी है.