लंदन: भारत में वांछित शराब कारोबारी विजय माल्या की समस्या बढ़ती जा रही है. ब्रिटेन उच्च न्यायालय ने माल्या के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए उन्हें भारत को सौंपने के ब्रिटेन सरकार के आदेश के खिलाफ अपील की मंजूरी देने से इनकार कर दिया.
माल्या पर भारत में 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के आरोप हैं. ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिव जावेद ने वेस्टमिन्स्टर मजिस्ट्रेट अदालत के फरवरी में माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश पर हस्ताक्षर के बाद 63 वर्षीय कारोबारी ने इस आदेश के खिलाफ सुनवाई को लेकर उच्च न्यायालय में आवेदन किया था.
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ब्रिटेन की न्यायपालिका के एक प्रवक्ता ने कहा, "न्यायाधीश विलियम डेविस ने पांच अप्रैल 2019 को अपील की मंजूरी के लिये आवेदन को अस्वीकार कर दिया." प्रवक्ता ने कहा, "अपीलकर्ता (माल्या) के पास मौखिक रूप से विचार के लिए आग्रह करने को लेकर पांच कार्यदिवस हैं. अगर वह फिर से आवेदन देते हैं, उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा और सुनवाई के दौरान उस पर निर्णय किया जाएगा."
आवेदन एकल पीठ के समक्ष दिया गया था. न्यायाधीश को दिये गये दस्तावेज के आधार पर निर्णय करना था. न्यायाधीश डेविस ने दस्तावेज पर गौर करने के बाद शराब व्यवसायी के आवेदन को खारिज कर दिया. अब माल्या के पास नये सिरे से आवेदन देन का विकल्प है. इस नवीनीकृत प्रक्रिया में अदालत मौखिक सुनवाई करेगी.
इसमें माल्या के अधिवक्ताओं की टीम तथा भारत सरकार की तरफ से 'क्राउन प्रोसक्यूशन सर्विस' (सीपीएस) मामले में पुर्ण सुनवाई के पक्ष और विपक्ष में अपनी-अपनी दलीलें रखेंगे. यानी इसका मतलब है कि मामले में अपील प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है.
यह जरूर है कि अदालत का ताजा फैसला माल्या के भारत प्रत्यर्पन की दिशा में एक और कदम है. अदालत का यह निर्णय यूबी समूह के प्रमुख के लिये एक और झटका है. पिछले सप्ताह ही उन्होंने अपनी शानो-शौकत की जिंदगी में कटौती की पेशकश की.
इसका मकसद उन भारतीय बैंकों को संतुष्ट करना था जो माल्या के ऊपर किंगफिशर एयरलाइन के बंद होने से करीब 9,000 करोड़ रुपये के बकाया की वसूली में लगे हैं. माल्या के मामले में पैरवी कर रही विधि कंपनी डीडब्ल्यूएफ लॉ एलएलपी के भागीदार जोनाथन इसाक ने कहा कि डा. माल्या भारत में कानूनी प्रक्रिया को समर्थन देने को लेकर जो भी कर सकते हैं, कर रहे हैं ताकि बैंकों का पैसा लौट सके. माल्या मार्च 2016 से लंदन में हैं और प्रत्यर्पण वारंट को लेकर फिलहाल जमानत पर हैं.