मुंबई: सिंगापुर के ऋणदाता डीबीएस बैंक ने कर्ज तले दबी रुचि सोया के अधिग्रहण सौदे को लेकर बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाया. डीबीएस ने पतंजलि की 4,350 करोड़ रुपये की पेशकश में से ज्यादा भुगतान किए जाने की गुहार लगाई है.
न्यायमूर्ति वीपी सिंह और न्यायमूर्ति रविकुमार दुरईसामी की एनसीएलटी पीठ ने रुचि सोया और डीबीएस से 10 मई तक विस्तृत जानकारी जमा करने के लिए कहा है. रुचि सोया की मशीनरी और संयंत्र पर पहला हक डीबीएस और कंपनी (रुचि सोया) का है.
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डीबीएस ने कहा कि रुचि के संयंत्र और उपकरणों पर पहला हक हमारा है. रचि सोया पर हमारा 243 करोड़ रुपये बकाया है. डीबीएस ने न्यायाधिकरण को बताया, "यदि कंपनी परिसमापन के लिए जाती है तो हमें 217 करोड़ रुपये मिलेंगे. यह बकाये का 90 प्रतिशत है. हालांकि, कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने सबको बराबर राशि देने का फैसला किया है और इसके चलते हमें रुचि सोया सौदे से केवल 118 करोड़ रुपये मिलेंगे. "
वहीं, पतंजलि ने एनसीएलटी को बताया कि 4,350 करोड़ रुपये की पेशकश में वह 3,233 करोड़ रुपये बैंकों से उधार लेगी और 1,185 करोड़ रुपये आंतरिक एवं अन्य स्रोतों से जुटाएगी. रुचि सोया का उचित मूल्य 4,161 करोड़ रुपये है.
कंपनी का एसबीआई की अगुवाई वाले कर्जदाताओं का 9,345 करोड़ रुपये बकाया है. पतंजलि ने कहा कि उसकी रुचि सोया को शेयर बाजार से हटाने की कोई योजना नहीं है. इसके बजाए वह 98 प्रतिशत इक्विटी अपने पास रखेगी.