नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने के लिए शून्य ब्याज वाले बॉन्ड (जीरो कूपन बॉन्ड) को लेकर चिंता जताई है. इसका समाधान निकालने के लिए केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच बातचीत जारी है.
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में पूंजी डालने के लिए 2017-18 में बॉन्ड का सहारा लिया. इस पर बैंकों को ब्याज देने की व्यवस्था थी. बैंकों को ब्याज अगले वित्त वर्ष से देय है.
ब्याज बोझ को कम करने और राजकोषीय दबाव कम करने के लिए सरकार ने बैंकों की पूंजी जरूरतों को पूरा करने को लेकर शून्य ब्याज वाला बॉन्ड जारी करने का निर्णय किया.
इस व्यवस्था के जरिए पिछले साल 5,500 करोड़ रुपये की पहली पूंजी पंजाब एंड सिंध बैंक में डाली गई. इसके लिए छह अलग-अलग परिपक्वता अवधि के शून्य ब्याज वाले बॉन्ड जारी किए गए. दस से पंद्रह साल की अवधि वाली इन विशेष प्रतिभूतियों पर कोई ब्याज देय नहीं है और इसका मूल्य अंकित मूल्य के समतुल्य होगा.
हालांकि, आरबीआई ने अंकित मूल्य पर बॉन्ड जारी कर प्रभावी तरीके से पूंजी डाले जाने के आकलन के संदर्भ में कुछ मुद्दे उठाए हैं. केंद्रीय बैंक ने कहा कि चूंकि इस प्रकार के बॉन्ड पर कोई ब्याज देय नहीं होता और इसे अंकित मूल्य पर अच्छा-खासी छूट के साथ जारी किया जाता है, इसलिए इनके शुद्ध वर्तमान मूल्य का पता लगाना मुश्किल है.