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आरकॉम की दिवालिया याचिका पर फैसला करेगा एनसीएलएटी - अनिल अंबानी

आरकॉम ने ट्रिब्यूनल से दिवालिया कार्यवाही को आगे बढ़ाने की गुहार लगाई है, क्योंकि यह अपने कर्जदाताओं को बकाया चुकाने में असमर्थ है.

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Published : Apr 9, 2019, 10:50 AM IST

नई दिल्ली : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने सोमवार को कहा कि वह कर्ज में डूबे रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के दिवालिया होने पर फैसला करेगा.

आरकॉम ने ट्रिब्यूनल से दिवालिया कार्यवाही को आगे बढ़ाने की गुहार लगाई है, क्योंकि यह अपने कर्जदाताओं को बकाया चुकाने में असमर्थ है.

स्विस टेलीकॉम गियर निर्माता एरिक्सन, जिसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पिछले महीने आरकॉम से अपना बकाया 550 करोड़ रुपये प्राप्त किया था, इस कदम का विरोध कर रही है.

अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने यह भी माना कि अगर आरकॉम के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही की अनुमति दी जाती है, तो एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये लौटाने होंगे.

एनसीएलएटी ने कहा, "एक पक्ष क्यों राशि लेगा और बाकि वित्तीय लेनदारों को नुकसान होने देगा." एनसीएलटी आरकॉम दिवालियापन की कार्यवाही को रद्द कर सकता है या दिवालियापन मामले को आगे बढ़ने की अनुमति दे सकता है.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि वह दूरसंचार विभाग द्वारा आरकॉम की याचिका पर दायर नोटिस के खिलाफ कारण बताओ नोटिस के खिलाफ दायर नोटिस पर विचार करेगा, जिसकी सुनवाई की अगली तारीख 30 अप्रैल है.

एनसीएलएटी ने कहा "30 अप्रैल को डीओटी जवाब पर विचार किया जाएगा. हमें स्पष्ट करना चाहिए कि कॉरपोरेट देनदार की संपत्ति हैं, क्या उनके पास संपत्ति का अधिकार है. क्या आप लाइसेंस ले सकते हैं? यदि हां, तो कंपनी का मूल्य क्या है.

एनसीएलएटी का निर्देश तीन आरकॉम अधिकारियों द्वारा स्थानांतरित किए गए आवेदनों की सुनवाई के दौरान आया.

इससे पहले, 4 फरवरी को, ट्रिब्यूनल ने कहा था कि एनसीएलटी या सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेशों तक, कोई भी आरकॉम की परिसंपत्तियों पर तीसरे पक्ष के अधिकारों को न तो बेच सकता है, न अलग कर सकता है या बना सकता है.

एनसीएलटी ने 26 मार्च को दूरसंचार विभाग द्वारा आरकॉम को भुगतान में देरी के लिए उसका स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द करने के लिए जारी किए गए दो नोटिसों पर रोक लगा दी.

इसकी दो सदस्यीय पीठ ने अनिल अंबानी समूह की फर्म द्वारा दी गई 2,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को समाप्त करने के लिए एक्सिस बैंक को 20 मार्च, 2019 को डीओटी के पत्र पर रोक लगा दी थी.
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