नई दिल्ली: हैरानी की बात है कि तिहरे 'ए' की लुभावन रेटिंग वाले आईएलएंडएफएस वाले बांड अब विषाक्त बन चुके हैं और मधुमक्खी के इस छत्ते में न सिर्फ भारत की निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां फंसी, बल्कि कई अव्वल दर्जे की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई का धन इसमें लगाने का फैसला लिया.
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा आठ अप्रैल को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के पास दाखिल पूरक हलफनामे में कई नई जानकारी का खुलासा हुआ है. आईएलएंडएफएस के अपराधों का खुलासा करने में आईएएनएस हरावल बना रहा है और उन कंपनियों व इकाइयों का नाम भी उजागर करता रहा है जो इस विषाणु से ग्रसित बांड में फंसी हुई हैं. अब इनके असली आकार, क्षेत्र व परिमाण का खुलासा हुआ है.
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1,400 कंपनियों के लाखों कर्मचारियों की भविष्य निधि और पेंशन निधि का 9,700 करोड़ रुपये का धन फंसा हुआ है और इतने बड़े आघात से लगे जख्मों को भरने के लिए सही मायने में कोई कोशिश नहीं हुई है. मतलब आठ अप्रैल के हालिया आदेश को छोड़कर भुगतान शुरू करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुआ. इस आदेश में कहा गया है कि अभागे कर्मचारी वर्ग के लिए कुछ प्राथमिकताओं को शामिल किया जाना चाहिए.
हालांकि सरकार भविष्य निधि व पेंशन निधि के लिए बेहतर उपचार नहीं करना चाहती है क्योंकि इससे अनेक दूसरे कर्जदाताओं में घबराहट पैदा हो जाएगी. इसलिए मौजूदा विरोधाभाषी हालात में हर कोई विफल है.
मसले के समाधान की मांग करते हुए एनसीएलएटी के पास 150 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं क्योंकि यह कर्मचारी वर्ग का मसला है जिसमें मजदूर से लेकर पेशेवर लोग शामिल हैं और वे इस संकट से सीधे तौर पर प्रभावित हैं. निवेश बैंक, प्रौद्योगिकी कंपनियां, बड़ी फार्मा कंपनियां और एयरलाइन समेत इससे प्रभावित कंपनियों की फेहरिस्त लंबी है और रकम भी काफी बड़ी है.
कई पृष्ठों की लंबी फेहरिस्त में से आईएएनएस ने अब जो ढूंढ निकाला है उनमें बाटा इंडिया कर्मचारी विधायी भविष्य निधि, ग्लैक्सो इंडिया, ओटिस एलिवेटर, सुमितोमो इंडियन स्टाफ पीएफ, मैकेन एरिक्शन इंडिया ईपीएफ, लुफ्थांसा जर्मन एयरलाइंस एंप्लाइज लोकल पीएफ, फिलिप्स इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, बीएएसएफ, नोवार्टिस, पर्नोड रिकार्ड, बेकटेल इंडिया, जेपी मॉर्गन, नेस्ले शामिल हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इस फेहरिस्त में भारत स्थित कनाडा उच्चायोग के कर्मचारी, ब्रिटिश एयरवेज के सपोर्ट स्टाफ, टेक्सास इंस्ट्रमेंट्स इंडिया, वोल्वो इंडिया, सिस्को सिस्टम इंडिया, सनोफी इंडिया, सैपिएंट कंसल्टिंग, बीबीसी वर्ल्डवाइड इंडिया, मेकेंजी नॉलेज सेंटर और शेल इंडिया भी शामिल हैं.
इनमें से अनेक कंपनियों के अनेक खुलासे हैं. मसलन, ओटिस की अलग-अलग राशियों की कई प्रविष्टियां हैं जो 55 लाख से लेकर दो करोड़ रुपये तक की हैं जोकि अलग-अगल वर्षो के साथ-साथ 2012 और उसके बाद फिर सितंबर 2015 की हैं.