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बैंकों ने जेट एयरवेज के 15 विमानों के इस्तेमाल, संपत्ति की सुरक्षा को लेकर संभावनायें टटोली

भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाला कर्जदाता बैंकों का समूह फिलहाल एयरलाइन के लिये बोली प्रक्रिया के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहा है. इसके साथ ही समूह की नजर एयरलाइन की उपलब्ध संपत्तियों से धन जुटाने के विकल्पों पर भी है.

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Published : Apr 19, 2019, 8:21 PM IST

नई दिल्ली : उड़ान परिचालन बंद कर चुकी जेट एयरवेज के ऋणदाता बैंक अब उसके 15 विमानों को इस्तेमाल में लाने की संभावनाओं को टटोलने लगे हैं. इसके साथ ही वह संबंधित प्रशासन के साथ एयरलाइन को आवंटित उड़ान समयसारिणी सहित तमाम मूल्यवान संपत्तियों की सुरक्षा पर भी बातचीत कर रहे हैं. बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाला कर्जदाता बैंकों का समूह फिलहाल एयरलाइन के लिये बोली प्रक्रिया के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहा है. इसके साथ ही समूह की नजर एयरलाइन की उपलब्ध संपत्तियों से धन जुटाने के विकल्पों पर भी है.

निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज ने पिछले 26 साल तक देश के लोगों को विमान सेवायें देने के बाद बुधवार को अपना परिचालन अस्थाई तौर पर बंद करने की घोषणा की है. जेट एयरवेज के अपने विमानों को खड़ा कर देने के फैसले से उससे जुड़े करीब 20 हजार कर्मचारियों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया.

सूत्रों ने बताया कि स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों का समूह एयर इंडिया के प्रस्ताव पर भी सक्रियता के साथ विचार कर रहा है. एयर इंडिया ने जेट एयरवेज के पांच बड़े विमानों को पट्टे पर लेने में रुचि दिखाई है. कर्जदाता बैंक समूह मानता है कि विमानों का इस्तेमाल होते रहने से इन्हें बेहतर हालात में बनाये रखने में मदद मिलेगी साथ ही राजस्व भी अर्जित किया जा सकेगा. जेट एयरवेज के पास 16 विमान हैं. इनमें 10 बड़े आकार वाले बोइंग 777-300ईआर विमान हैं, जबकि शेष पट्टे पर हैं. पूर्ण विमान सेवा देने वाली इस एयरलाइन के पास पिछले साल अंत तक 120 से ज्यादा विमान उसके बेड़े में शामिल थे.

सूत्रों का कहना है कि कर्जदाता बैंक पूरी सक्रियता के साथ एयरलाइन की स्थिति पर नजर रखे हुये हैं और जेट एयरवेज की मौजूदा स्थिति के लिये उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. नौ माह से जब से एयरलाइन को नकदी में नुकसान होने लगा था, वे (कर्जदाता बैंक) कंपनी के साथ सक्रियता के साथ बातचीत में जुटे हैं और प्रबंधन से संकट के समाधान के लिये पक्की योजना लाने का आग्रह करते रहे हैं.

एक सूत्र ने कहा, "दुर्भाग्य से एयरलाइन प्रबंधन और प्रवर्तक ने फैसला लेने में देरी की जिससे विमानन कंपनी आज इस स्थिति में पहुंच गई. इस दौरान ऋणदाताओं ने लगातार एयरलाइन को समर्थन और सहारा दिया."

सूत्र ने कहा कि जेट एयरवेज के संस्थापक प्रवर्तक नरेश गोयल का कंपनी से हटने का फैसला 25 मार्च को काफी देरी से आया और उन्होंने कंपनी में हिस्सेदारी बिक्री में मदद करने के बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर अप्रैल के दूसरी सप्ताह में किये. तब तक काफी देर हो चुकी थी और एयरलाइन परिचालन को काफी नुकसान पहुंच चुका था.

सूत्रों का कहना है कि बैंकों ने अब नये निवेशक को आमंत्रित करने के लिये पारदर्शी बोली प्रक्रिया शुरू की है. इसका परिणाम 10 मई तक सामने आ जायेगा. बहरहाल, एयरलाइन के प्रवर्तक पद छोड़ चुके हैं और बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं लेकिन कुछ तकनीकी वजह हैं जिससे निदेशक मंडल के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं आया है.

कर्जदाताओं ने हालांकि एयरलाइन के प्रवर्तकों के हटने के बाद ए के पुरवार और कपिल कौल को एयरलाइन के निदेशक मंडल में नामित किया है लेकिन तकनीकी कारणों से इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है.

सूत्रों का कहना है कि प्रवर्तकों के हटने के बावजूद बैंक अभी तक उसी कार्यकारी प्रबंधन के साथ काम कर रहे हैं, जो पहले कंपनी को चला रहा था. गुरुवार को बैंकों ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि एयरलाइन के लिये बोली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो जायेगी.
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