नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए भारतीय कंपनियों ने कई तरह के राहत उपायों की सरकार से मांग की है. इन मांगों में बैंकों के कर्ज की किस्त लौटाने पर एक साल तक रोक लगाने, करों में कटौती, जरूरतमंद लोगों को आधार से जुड़े प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसे उपायों सहित कुल दो लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दिया जाना शामिल है.
भारत पहले ही वृद्धि में गिरावट का सामना कर रहा है. जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत तक गिर गई है. कोविड-19 के चलते चौथी तिमाही में इसके और नीचे जाने की आशंका है.
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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि अगर तत्काल नीतिगत उपाए नहीं किए गए तो वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी वृद्धि दर पांच प्रतिशत से भी नीचे जा सकती है.
सीआईआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक प्रतिशत तक वित्तीय प्रोत्साहन दिये जाने की मांग की है. इसमें कहा गया है यह प्रोत्साहन राशि करीब दो लाख करोड़ रुपये तक बैठगी जिसे आधार से जुड़ी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के जरिये सीधे भेजा जा सकता है.
उद्योग संगठन एसोचैम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में कोविड-19 से मुकाबले के लिए गठित किए गए आर्थिक प्रतिक्रिया कार्य बल से कहा है कि कॉरपोरेट्स और व्यक्तियों दोनों को ऋण अदायगी के लिए बैंकों से एक साल की मोहलत दी जानी चाहिए और साथ ही भारतीय जीवन बीमा निगम से एनबीएफसी में अर्ध-इक्विटी प्रारूप में नकदी डालने की मांग भी की गई है.