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Covaxin उत्पादन : भारत बायोटेक निदेशक बोले- बड़ी चुनौती थी 10 महीने में उत्पादन, मिली सफलता

कोरोना महामारी से बचाव के लिए टीका विकसित करने वाली कंपनी- भारत बायोटेक के निदेशक डॉ वी कृष्ण मोहन ने कहा है कि कोवैक्सीन का उत्पादन बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन 10 महीने में मिली सफलता मिलना एक उल्लेखनीय उपलब्धि भी रही है. उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक को टीका बनाने के लिए 10 महीने का समय मिला था.

भारत बायोटेक
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Published : Nov 18, 2021, 9:41 PM IST

बेंगलुरु :फार्मा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी भारत बायोटेक ने तेज गति से कोरोना वैक्सीन का विकास और उत्पादन किया है. गुरुवार को बेंगलुरु टेक समिट-2021 में भारत द्वारा वैक्सीन नेतृत्व (India's vaccine leadership) पर एक सत्र को संबोधित करते हुए, - भारत बायोटेक के निदेशक डॉ वी कृष्ण मोहन ने कहा कि जब भारत समेत पूरी दुनिया कोविड -19 संक्रमण की चपेट में आई तो कोई टीका विकसित नहीं हुआ था.

डॉ कृष्ण मोहन ने कहा कि वैक्सीन का विकास फार्मा क्षेत्र और संभावित वैक्सीन निर्माताओं के लिए कठिन चुनौती थी. उन्होंने कहा कि हमें संक्रमण से लड़ने के लिए एक वैक्सीन विकसित करने के लिए सिर्फ 10 महीने का समय दिया गया था, लेकिन हम इन कुछ महीनों में कोवैक्सीन टीका विकसित करने में सफल रहे.

उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक रिकॉर्ड समय में कोवैक्सीन जारी करने और करोड़ों भारतीयों की जान बचाने में सफल रहा है.

भारत बायोटेक के निदेशक ने कहा कि भारत सरकार ने सही कदम उठाए हैं और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Biotechnology Dept.) सक्रियता से काम कर रहा है. उन्होंने कहा, 'ऐसी कोई पिछली मिसाल नहीं थी और इतने कम समय में वैक्सीन बनाना असंभव सा लगता है.' उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने पिछले एक दशक में अपनी कार्यशैली में सकारात्मक बदलाव किया है.

बता दें कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिल चुकी है.

इससे पहले भारत निर्मित भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' के दो टीकों पर शोध पत्रिका 'लैंसेट' ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसमें कहा गया था कि कोविड-19 के लक्षण वाले मरीजों पर कोवैक्सीन 77.8 प्रतिशत प्रभावी है. गत 12 नवंबर को प्रकाशित कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अंतरिम विश्लेषण में यह जानकारी दी गई.

विश्लेषण के अनुसार कोवैक्सीन टीका बिना किसी लक्षण वाले मरीजों को 63.6 प्रतिशत की सुरक्षा प्रदान करता है. देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान सबसे अधिक प्रभावी रहे डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ यह टीका 65.2 प्रतिशत और सार्स-सीओवी-2 वायरस के सभी प्रकारों के खिलाफ 70.8 प्रतिशत कारगर है.

कोवैक्सीन के प्रभाव के बारे में विश्लेषण के अनुसार, देश में निर्मित यह टीका कोविड-19 के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी है.

इस अध्ययन के लेखकों के अनुसार कोवैक्सीन के तीसरे चरण में पाया गया है कि यह टीका शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा क्षमता (एंटीबॉडी) उत्पन्न करता है. साथ ही परीक्षण में भाग लेने वालों को कोई गंभीर टीका संबंधी परेशानी नहीं हुई और न ही किसी की मौत हुई.

शोधकर्ताओं ने हालांकि यह भी पाया कि यह आंकड़े शुरुआती हैं और गंभीर बीमारी तथा अस्पताल में भर्ती मरीजों पर इसका प्रभाव निर्धारित करने के लिए बड़े पैमाने पर शोध की आवश्यकता है.

पहली और दूसरी टीके की खुराक के बीच रिपोर्ट किए गए मामलों की कम संख्या के कारण शोधकर्ता एक खुराक के बाद टीके के प्रभाव का सटीक विश्लेषण नहीं कर सके.

कोवैक्सीन के प्रभाव के संबंध में भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा एल्ला ने एक बयान में कहा था, 'हमारे उत्पाद विकास और नैदानिक परीक्षणों के आंकड़ों को दस समीक्षा पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है, जो कोवैक्सीन को दुनिया में सबसे अधिक प्रकाशित कोविड-19 टीकों में से एक बनाती है.'

उन्होंने कहा, 'यह उपलब्धि भारत बायोटेक में मेरी टीम के सदस्यों, हमारे जन भागीदारों, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राष्‍ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और टीका परीक्षण में भाग लेने वालों लोगों के भरोसे को दर्शाती है.'

कोवैक्सीन के तीसरे चरण के प्रभाव परीक्षण और सुरक्षा अध्ययन में देश के 25 स्थानों पर 25,800 स्वयंसेवियों को शामिल किया गया है. यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा नैदानिक या क्लिनिकल​​​​ परीक्षण है जो कोविड-19 टीके के लिए किया गया है.

इस उपलब्धि को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने भी कहा था, 'मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि 'द लैंसेट' में कोवैक्सीन के तीसरे चरण के आंकड़ों को भी प्रकाशित किया गया है, जो दुनियाभर में सबसे प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में से एक है. यह आंकड़े अन्य वैश्विक कोविड टीकों के बीच कोवैक्सीन की मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं.

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