हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, मास्टरकार्ड सहित 114 विज्ञापनदाता कर रहें हैं भ्रामक प्रचार
एएससीआई ने एक बयान में कहा कि कुल 157 विज्ञापनों का आकलन किया गया जिनमें से 114 विज्ञापनों को भ्रामक या गुमराह करने वाला माना गया. जिसमें एक सरकारी विज्ञापन भी शामिल है.
मुंबई: विज्ञापन क्षेत्र के नियामक भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने अप्रैल महीने में 114 भ्रामक या गुमराह करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को सही पाया है. इनमें फार्मईजी, किंगफिशर रेडलर, इंदुलेखा शैंपू, डव शैंपू के खिलाफ शिकायतें शामिल हैं.
एएससीआई ने बयान में कहा कि उसने 206 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों की जांच की. इनमें से 49 विज्ञापनदाताओं ने एएससीआई से शिकायत मिलने के बाद त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की. 43 विज्ञापन ऐसे थे जिन्हें आपत्तिजनक नहीं माना गया. बयान में कहा गया है कि कुल 157 विज्ञापनों का आकलन किया गया जिनमें से 114 विज्ञापनों को भ्रामक या गुमराह करने वाला माना गया.
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इनमें 59 विज्ञापन शिक्षा क्षेत्र से संबंधित हैं. 35 विज्ञापन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से, पांच पर्सनल केयर क्षेत्र के, दो खाद्य एवं बेवरेजेज क्षेत्र के और 13 अन्य क्षेत्रों के हैं. एएससीआई ने कहा कि आनलाइन फार्मेसी फार्मईजी का विज्ञापन में किया गया दावा कि 100 प्रतिशत सच्ची दवाएं सहीं नहीं है.
इसके लिए किसी अन्य पुख्ता डेटा को नहीं दिया गया है. मसलन इसमें एफडीए की मान्यता वाली उन फार्मेसी की सूची नहीं है जिनका विज्ञापनदाता के साथ गठजोड़ हो. एएससीआई ने हिंदुस्तान यूनिलीवर के इंदुलेखा और डव शैंपू के विज्ञापन को भी गुमराह करने वाला पाया है.
एएससीआई ने नेस्ले के नाश्ते के मोटे अनाज नेसप्लस मल्टीग्रेन कोकोज के विज्ञापन को भी भ्रामक माना है. मास्टरकार्ड इंडिया के क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी वाले टीवी विज्ञापन भारत का कार्ड में नेतृत्वकारी स्थिति के दावे को भी भ्रामक माना गया है.
इसमें कहा गया है कि यह निष्कर्ष निकलता है कि सेलिब्रिटी धोनी ने यह विज्ञापन करने से पहले कोई जांच पड़ताल नहीं की. इसमें सेलिब्रिटीज के लिए विज्ञापन दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ है. एएससीआई ने पैसाबाजार के विज्ञापन दावे दो मिनट में कर्ज की मंजूरी को भ्रामक करार दिया है.