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कच्चे तेल का वायदा शून्य से नीचे, हरकत में आया सेबी

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Published : Apr 21, 2020, 4:16 PM IST

अधिकारियों ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक सेबी को हालात के बारे में जानकारी है और वह इस मुद्दे पर गौर कर रहा है, जबकि मामला सरकारी अधिकारियों तक भी पहुंच गया है और वे चाहते हैं यदि जिंस बाजार नियमों के खिलाफ काम कर रहा है या दूसरे व्यापारी की कीमत पर किसी को विशेष लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, तो तत्काल कार्रवाई की जाए.

कच्चे तेल का वायदा शून्य से नीचे, हरकत में आया सेबी
कच्चे तेल का वायदा शून्य से नीचे, हरकत में आया सेबी

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का वायदा एक समय भले ही शूल्य से नीचे चला गया हो, लेकिन भारत में प्रमुख जिंस बाजार मैक्स ने एक रुपये प्रति बैरल के भाव पर अंतरिम निपटान तय किया है. कुछ कारोबारियों का कहना है कि इस कदम से मंदी का अनुमान लगाकर सौदे करने वालों की कीमत पर बड़े ब्रोकरों का नुकसान कम करने में मदद मिलेगी.

अधिकारियों ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक सेबी को हालात के बारे में जानकारी है और वह इस मुद्दे पर गौर कर रहा है, जबकि मामला सरकारी अधिकारियों तक भी पहुंच गया है और वे चाहते हैं यदि जिंस बाजार नियमों के खिलाफ काम कर रहा है या दूसरे व्यापारी की कीमत पर किसी को विशेष लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, तो तत्काल कार्रवाई की जाए.

कोरोना वायरस महामारी को लेकर आशंकाओं के चलते सोमवार रात एनवाईमैक्स डब्ल्यूटीआई क्रूड वायदा का मई 2020 सौदा अभूतपूर्व रूप से शून्य से नीचे 37.63 डॉलर प्रति बैरल पर बोला गया.

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भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (मैक्स) अपने निपटान मूल्य का निर्धारण करने के लिए एनवाईमैक्स की कीमतों का और रुपया-डॉलर विनिमय के लिए आरबीआई की दरों का इस्तेमाल करता है.

हालांकि, मैक्स ने एक परिपत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव के चलते 20 अप्रैल 2020 को खत्म हो रहे तेल वायदा के सौदे के लिए दरों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

मैक्स ने अपने सदस्यों से कहा कि अंतरिम रूप से 20 अप्रैल 2020 का अनंतिम निपटान मूल्य प्रति बैरल एक रुपये माना जाता है. अंतिम भुगतान मूल्य के निर्धारण के बाद कीमतों में कोई अंतर होने पर उसका निपटान बाद में किया जाएगा.

कई व्यापारियों ने कहा कि मैक्स द्वारा एक रुपये का निपटान मूल्य तय करने से कई लोग अपना वाजिब मुनाफा खो देंगे.

अधिकारियों ने हालांकि कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या अंतरिम कीमत तय करने के फैसले से भारी नुकसान झेल रहे लोगों को कुछ अनुचित राहत मिल रही है.

कारोबारियों के अनुसार एमसीएक्स में यदि एक अनुबंध 100 बैरल के बराबर है तो कुल सौदेो 11,55,200 बैरल के होंगे इस पर 3,825 रुपये प्रति बैरल के आधार पर गणना से कुल 440 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

हालांकि, निपटान मूल्य को एक रुपया तय कर देने पर यह घाटा कम होकर 110 करोड़ रुपये तक सीमित हो जाएगा. इस तरह कुछ बड़े ब्रोकरों को शार्ट सेलिंग करने वाले व्यापारियों की कीमत पर 330 करोड़ रुपये का नुकसान कम करने में मदद मिलेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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