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तेलंगाना में विश्व का सबसे बड़ा पंपिंग स्टेशन शुरू

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने लखीमपुर अंडरग्राउंड पंपिंग स्टेशन (एलयूपीएस) का अनावरण किया, जिसे गोदावरी नदी के पार मेगा परियोजना के पैकेज-8 के तौर पर जाना जाता है.

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Published : Aug 12, 2019, 9:55 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 7:32 PM IST

तेलंगाना में विश्व का सबसे बड़ा पंपिंग स्टेशन शुरू

हैदराबाद:कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (केएलआईपी) के एक प्रमुख घटक और दुनिया के सबसे बड़े पंप हाउस होने का दावा करने वाले लक्ष्मीपुर पंप हाउस का तेलंगाना में सफलतापूर्वक परिचालन शुरू हो गया है. इसकी घोषणा सोमवार को की गई.

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने लखीमपुर अंडरग्राउंड पंपिंग स्टेशन (एलयूपीएस) का अनावरण किया, जिसे गोदावरी नदी के पार मेगा परियोजना के पैकेज-8 के तौर पर जाना जाता है.

करीमनगर जिले में एलयूपीएस में पांचवीं मशीन चालू होने के साथ ही रविवार रात पंपिंग स्टेशन का परिचालन शुरू हो गया. इसके साथ ही लगभग तीन हजार क्यूसेक पानी 111 मीटर की ऊंचाई तक उठाया गया और ग्रेविटी नहर (ढाल के साथ प्रवाहित होने वाली) के माध्यम से मिड-मैनेयर जलाशय में प्रवाहित किया गया.

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भूमिगत पानी के तेज प्रवाह ने इसे देख रहे लोगों को काफी प्रभावित किया.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा बुधवार को इस विशाल पंप हाउस का औपचारिक उद्घाटन करने की उम्मीद है.

52 मिनट की इस प्रक्रिया के दौरान 89.73 क्यूसेक पानी गुरुत्वाकर्षण नलिका में बहाया गया. पंप किए गए पानी की मात्रा 98,85,303 क्यूसेक फुट (लगभग 28 करोड़ लीटर) थी.

एलयूपीएस गोदावरी नदी बेल्ट पर वर्ष भर जलाशयों में पानी के भंडारण में सहायक होगा.

एमईआईएल ने पंप हाउस को उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का नमूना बताया है. यह दुनिया का सबसे बड़ा भूमिगत पंपिंग स्टेशन है, जिसका निर्माण पृथ्वी की सतह से 470 फुट नीचे किया गया है.

एमईआईएल के निदेशक बी. श्रीनिवास रेड्डी ने कहा, "यह एक असाधारण भूमिगत पंप हाउस है, जो जुड़वां सुरंगों के साथ जमीन से 470 फुट नीचे है. यह दुनियाभर का एक अल्ट्रा-मेगा प्रोजेक्ट है, जिसमें सात मोटर हैं, जिनमे से प्रत्येक मोटर की 139 मेगावाट की क्षमता है."

केएलआईपी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका निर्माण इलेक्ट्रिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ 3057 मेगावाट क्षमता के साथ पूरा हुआ है. इसमें 400 और 220 किलोवॉट के छह सब-स्टेशन शामिल हैं. इसके अलावा इसमें ट्रांसफार्मर और 260 कि. मी. की ट्रांसमिशन लाइन के साथ ही सात कि. मी. की 400 किलोवॉट एक्सएलपीई भूमिगत केबल इस्तेमाल की गई हैं.

Last Updated : Sep 26, 2019, 7:32 PM IST

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