नई दिल्ली: कैबिनेट ने बुधवार को ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक घोषणा करते हुए कहा कि भारत में ई-सिगरेट पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय से जनसंख्या की रक्षा करने में मदद मिलेगी, विशेषकर युवाओं और बच्चों को ई-सिगरेट के माध्यम से नशे की लत के जोखिम से, तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा और संबद्ध आर्थिक और रोग भार में गिरावट आएगी.
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ई-सिगरेट का उपयोग न केवल भारत में बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भी बढ़ रहा है. सीतारमण ने कहा कि अमेरिका में डेटा बताता है कि स्कूली छात्रों द्वारा ई-सिगरेट के उपयोग में 77.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. चार-पांच वर्षों में अमेरिका में ई-सिगरेट के उपयोग में 900 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
आखिर क्यों भारत में ई-सिगरेट पर लगा प्रतिबंध
- एक श्वेत पत्र में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कहा कि ई-सिगरेट हृदय प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. सिगरेट के धुएं के समान ही ई-सिगरेट सांस लेने वाली नली को प्रभावित करती है और गंभीर रोगों को जन्म देती है.
- अखिल भारतीय किसान संघ के अनुसार तंबाकू की धूल का उपयोग निकोटीन के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है. जो की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है.
- बाजार में ई-सिगरेट को आमतौर पर सिगरेट से सुरक्षित विकल्प के रूप में प्रचार किया जाता है लेकिन ऐसी धारणाएं झूठी हैं. दूसरी ओर एक अध्ययन में पाया गया है कि यह प्रचार गैर-धूम्रपान करने वालों, विशेषकर युवाओं और किशोरों को निकोटीन-उपयोग करने के गेटवे उत्पादों के रूप में काम कर सकते हैं.
- ई-सिगरेट को आमतौर पर उद्योग द्वारा धूम्रपान बंद करने के लिए प्रचारित किया जाता है, लेकिन इसे छोड़ने की अबतक कोई ठोस नीति नहीं लाई गई है.
- निकोटीन के अलावा ई-सिगरेट का उपयोग अन्य नशीले पदार्थों के वितरण के लिए भी किया जा सकता है.
बैन से क्या होगा फायदा
ई-सिगरेटों के निषेध के निर्णय से लोगों को, विशेषकर युवाओं और बच्चों को ई-सिगरेटों के व्यसन के जोखिम से बचाने में मदद मिलेगी. अध्यादेश के लागू होने से सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को बल मिलेगा और तंबाकू के इस्तेमाल में कमी लाने में मदद मिलेगी, साथ ही इससे जुड़़े आर्थिक बोझ और बीमारियों में भी कमी आएगी.
बैन करने की पीछे की पृष्ठभूमि
ई-सिगरेटों को प्रतिबंधित करने पर विचार करने के लिए, सरकार द्वारा 2018 में सभी राज्यों के लिए जारी की गई एक चेतावनी की पृष्ठभूमि में मौजूदा निर्णय लिया गया है. पहले ही 16 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश ने अपने क्षेत्राधिकारों में ई-सिगरेटों को प्रतिबंधित किया है. ध्यान रहे कि इस विषय पर हाल में जारी एक श्वेत-पत्र में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी फिलहाल उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर ई-सिगरेटों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है.
क्या है ई-सिगरेट ?
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बैटरी-युक्त उपकरण है, जो निकोटिन वाले घोल को गर्म करके एयरोसोल पैदा करता है. एयरोसोल, सामान्य सिगरेटों में एक व्यसनकारी पदार्थ है. इनमें सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम, जलाने नहीं, गर्म होने वाले (हिट नॉट बर्न) उत्पाद, ई-हुक्का और इस प्रकार के अन्य उपकरण शामिल हैं. ऐसे नए उत्पाद आकर्षक रूपों तथा विविध सुगंधों से युक्त होते हैं तथा इसका इस्तेमाल काफी बढ़ा है.