नई दिल्ली: चीनी उत्पाद का बहिष्कार और 'लोकल के लिये वोकल' होने की दिशा में संघ परिवार बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है. इस दिशा में जहां संघ परिवार एक ओर जन जागरण चला रहा है, वही दूसरी ओर स्वावलंबी योजनाओं के तहत कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा दे रहा है. इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर स्वदेशी राखी तैयार करने का बीड़ा उठाया है.
राखी बनाने की जिम्मेदारी विश्व हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत के मातृशक्ति दुगार्वाहिनी सदस्यों को सौंपी गयी है. लगभग 120 से ज्यादा मातृशक्ति दुगार्वाहिनी की सदस्य इस काम में जुटी है.
इसके अलावा दिल्ली में चलाये जा रहे कुटीर उद्योगों से भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि रक्षा बंधन से पहले राजधानी दिल्ली के बाजारों में स्वदेशी रखी की पहुंच हो जाये.
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इस काम में लगी दिल्ली प्रान्त की संयोजिका सुनीता शुक्ला ने आईएएनएस को बताया, "प्रधानमंत्री ने लोकल को वोकल करने का आह्वान किया है. हम चाहते हैं लोग चीनी राखियों का इस्तेमाल न करके स्वदेशी राखियों का ही प्रयोग करें ताकि देश सशक्त और आत्मनिर्भर बने."
प्रारंभिक तौर पर अब तक 10 हजार स्वदेशी राखियों का निर्माण किया जा चुका है. इस अभियान से राजधानी में अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं और कुटीर उद्योग चला रहे उद्यमियों से भी संर्पक किया जा रहा है.
इस बावत विहिप दिल्ली प्रान्त के कार्यध्यक्ष वागीश ईस्सर ने आईएएनएस को बताया कि 'विहिप की स्वाबलंबी योजना पहले से चल रही है. इस योजना के तहत चीनी सामानों का बहिष्कार और खुद को सुदृढ़ करने की पहल की गयी है. अभी रक्षा बंधन को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है, आगे दीपावली के लिये अभी से काम शुरू कर देंगे.
चीनी राखियों के परिपेक्ष्य में मातृ शक्ति द्वारा तैयार राखियों की कीमत 5 से 7 रुपये रखी जा रही है. बड़े पैमाने पर राखी के निर्माण के लिये अन्य संगठनों से भी संर्पक किया जा रहा है. ऑन लाइन बिक्री की भी व्यवस्था की जा रही है. साथ ही दुकानदारों और रिटेलर से भी अनुरोध किया जा रहा है कि चीनी रखी न बेचें, स्वदेशी राखी को ही अपनायें और बेचें.
गौरतलब है कि कुछ इसी तरह स्वावलंबी योजना विहिप ने कोरोना काल में भी चलायी थी, जिसके तहत विहिप ने सिर्फ दिल्ली में 10 लाख फेस मॉस्क का निर्माण कराया था. मॉस्क तैयार करने में लगे लोगों को विहिप की तरफ से प्रति मॉस्क एक निश्चित राशि भी प्रदान की गई थी.
(आईएएनएस)