नई दिल्लीः केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि शहरी क्षेत्र की नीतियों, क्षमता सृजन, नियोजन, क्रियान्वयन, प्रशासन के बारे में सिफारिशें करने के लिए जाने-माने शहरी नियोजकों, शहरी अर्थशास्त्रियों तथा संस्थानों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का प्रस्ताव किया है, ताकि शहरी विकास में मूलभूत परिवर्तन (Paradigm Change) लाया जा सके. उन्होंने कहा कि शहरी नियोजन का सामान्य दृष्टिकोण जारी नहीं रखा जा सकता, क्योंकि आजादी के 100 साल बाद हमारी लगभग आधी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहने लगेगी.
इसकी तैयारी के लिए व्यवस्थित शहरी विकास महत्वपूर्ण है. इससे देश की आर्थिक क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा, जिसमें जनसांख्यिकीय लाभ के लिए आजीविका संबंधी अवसर भी आते हैं. इसके लिए एक ओर जहां हमें मेगा-सिटीज के पोषण की जरूरत है, आस-पास के क्षेत्रों को आर्थिक विकास के वर्तमान केन्द्रों के रूप में विकसित करने की आवश्यकता हैं वहीं दूसरी ओर हमें टायर-2 तथा टायर-3 शहरों में सुविधा प्रदान किए जाने की जरूरत है, जिससे कि इनको भविष्य के लिए तैयार किया जा सके. वित्त मंत्री ने कहा कि हमें अपने शहरों को जीवन के दीर्घकालिक मार्गों के केन्द्र के रूप में देखने की आवश्यकता है, जिसमें सभी के लिए विशेषकर महिलाओं और युवाओं के लिए अवसर उपलब्ध हों.
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मंत्री ने कहा कि बड़े पैमाने पर पारगमन परियोजनाओं और अमृत योजना (Transit Projects And AMRUT Scheme) के लिए केंद्र सरकार कार्य योजनाओं के निर्माण और राज्यों द्वारा टीओडी और टीपीएस की सुविधा के लिए की वित्तीय सहायता देगी.
शहरी नियोजन और डिजाइन (Urban Planning And Design) में विशिष्ट रूप से भारत के लिए ज्ञान विकसित करने और इन क्षेत्रों में प्रमाणित प्रशिक्षण देने के लिए पांच मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्र (Centres Of Excellence) के रूप में नामित किया जाएगा. इन केंद्रों में प्रत्येक को 250 करोड़ रुपये की निधि प्रदान की जाएगी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि एआईसीटीई अन्य संस्थानों में शहरी नियोजन पाठ्यक्रमों के पाठ्यक्रम, गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करने का बीड़ा उठाएगी.
शहरी नियोजन के विशेषज्ञों ने मंगलवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा पेश केंद्रीय बजट की सराहना की. ईटीवी भारत से बात करते हुए भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के शहरी अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर केके पांडे ने कहा कि बजट में शहरी क्षेत्र के समग्र विकास को महत्व दिया है.
केंद्रीय बजट में राज्यों को शहरी नियोजन के लिए सहायता प्रदान करने की बात कही गई है जो सकारात्मक पहल है. प्रोफेसर पांडे ने शहरी नियोजन पाठ्यक्रमों के लिए पांच उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने के निर्णय की भी सराहना की. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के लिए वर्ष 2022-23 के लिए कुल बजट अनुमान 76549.46 करोड़ रुपये तय किया गया है, जिसमें 49208.45 करोड़ रुपये का राजस्व व्यय और 27341.01 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय है.