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कर्ज की किस्तें चुकाने में तीन माह की छूट महज ढकोसला: न्यायालय में दायर याचिका - Three months exemption in repaying loan installments is only fraud: petition filed in court

याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक का वह सर्कुलर एक ढकोसला है क्योंकि उसमें तीन माह की मोहलत की अवधि में कर्ज की राशि पर ब्याज लगाया जाता रहेगा. याचिकाकर्ता की दलील है कि ऐसे में नियमित समान मासिक किस्त (ईएमआई) पर अतिरिक्त ब्याज लगाने का कोई तुक नहीं बनता.

कर्ज की किस्तें चुकाने में तीन माह की छूट महज ढकोसला: न्यायालय में दायर याचिका
कर्ज की किस्तें चुकाने में तीन माह की छूट महज ढकोसला: न्यायालय में दायर याचिका

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Published : Apr 12, 2020, 12:48 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में शनिवार को दायर एक याचिका में कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न संकट के बीच बकाया कर्ज की किस्तें चुकाने के लिए तीन महीने की मोहलत देने संबंधी भारतीय रिजर्व बैंक के परिपत्र को निरस्त करने का निर्देश जारी करने की मांग की गयी है.

याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक का वह सर्कुलर एक ढकोसला है क्योंकि उसमें तीन माह की मोहलत की अवधि में कर्ज की राशि पर ब्याज लगाया जाता रहेगा. याचिकाकर्ता की दलील है कि ऐसे में नियमित समान मासिक किस्त (ईएमआई) पर अतिरिक्त ब्याज लगाने का कोई तुक नहीं बनता.

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रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को एक परिपत्र जारी कर बैंकों को कोरोना वायरस के संकट के मद्देनजर कर्जदारों को राहत प्रदान करने के लिये एक मार्च को बकाया किस्तों के भुगतान में तीन महीने की राहत देने का परामर्श दिया है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि ग्राहकों के अनुरोध पर बैंक व वित्तीय संस्थान उन्हें यह छूट मुहैया करा सकते हैं.

इसमें कहा गया है कि ऐसे कर्ज की सभी बकाया किस्तें चुकाने की समय सारिणी और चुकाने की अवधि मोहलत की अवधि के अनुसार तीन महीने बढ़ा दी जायेगी.

हालांकि राहत के इन तीन महीनों के दौरान बकाया राशि पर ब्याज लगता रहेगा और यह जमा होता जाएगा. राहत की अवधि के समाप्त होने के बाद ग्राहकों को इन तीन महीनों के ब्याज का भी भुगतान करना पड़ेगा.

अधिवक्ता अमित साहनी ने उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में रिजर्व बैंक के इस परिपत्र को ढकोसला बताया. उन्होंने कहा कि तीन महीने की इस राहत अवधि में ग्राहकों के ऊपर ब्याज जमा होता रहेगा. ऐसे में नियमित किस्तों के साथ तीन महीने का अतिरिक्त ब्याज भरना कहीं से राहत नहीं है.

याचिका में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने की मांग की गयी कि राहत के इन तीन महीनों के लिये ग्राहकों से किसी प्रकार का ब्याज नहीं लिया जाना चाहिये. इसके अलावा याचिका में यह मांग भी की गयी कि कोरोना वायरस महामारी के कारण बेरोजगार हुए लोगों के लिये राहत अवधि की समयसीमा बढ़ायी जानी चाहिये.

याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस ने समाज के हर पहलुओं को प्रभावित किया है. इसकी रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन के हटाये जाने के बाद भी लंबे समय तक इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे. अत: ऐसी स्थिति में नागरिकों की मदद करना सरकार और रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी है.

(पीटीआई-भाषा)

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