हैदराबाद: ट्रांसपोर्टर्स की शीर्ष संस्था ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा है कि 31 जुलाई तक वाहन की वैधता बढ़ाने वाला केंद्र सरकार का कदम बहुत छोटा और बहुत देर से आया. बता दें कि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के छत्र के नीचे 3,500 से अधिक ट्रक, बसें और अन्य छोटे वाहन संघ हैं.
एआईएमटीसी के अध्यक्ष कुलतारन सिंह अटवाल ने ईटीवी भारत को बताया सरकार ने रविवार को कहा कि उसने विभिन्न मोटर वाहनों से संबंधित दस्तावेजों की वैधता को 31 जुलाई तक बढ़ा दिया है. इसके साथ ही सरकार ने कहा कि एक फरवरी से लंबित दस्तावेजों के सत्यापन में देरी के लिए कोई अतिरिक्त या विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा.
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संस्था का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण राहत उपाय है, लेकिन बहुत देर से आया. उन्होंने कहा कि वाहनों का कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. लगभग 65-70 प्रतिशत सड़कें बंद हैं. ट्रांसपोर्टर्स मोटर बीमा के गैर-विस्तार, ईएमआई पर ब्याज, राज्य कर शुल्क, माल कर, यात्री कर, मोटर वाहन कर आदि के बारे में समान रूप से चिंतित हैं, जो अभी भी भुगतान किया जाना है.
उन्होंने आगे कहा, "सरकार से हमें काफी आशाएं थी. आत्मानिभर भारत पैकेज पर हमारी नजरें टिकी हुई थीं लेकिन सरकार ने हमें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया."
चालकों की दुर्दशा
लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से ही ट्रक परिचालन बंद हो गया था. सड़क किनारे ढाबों और रेस्तरां बंद रहने के कारण ट्रक डाइवर बिना भोजन और पानी के भूखे रह गए. कोरोना के डर से कई ड्राइवरों और सहायकों अपने वाहनों को छोड़कर अपने घर चले गए. आवश्यक वस्तुओं के परिवहन पर आंशिक छूट ने ड्राइवरों की चिंताओं को थोड़ा कम किया.
फ्रंटलाइन श्रमिकों के विपरीत ट्रक ड्राइवरों को न तो कोई बीमा लाभ मिला और न ही सरकार से कोई वित्तीय सहायता मिली. वहीं, एआईएमटीसी अपने वाहन चालकों को नियमित पेंडिग करते रहे.
मालिकों की मुश्किलें
कोरोना वायरस के कारण ट्रक मालिकों को भी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. एसोसिएशन के सदस्यों को उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण क्षेत्रों में अपने वाहनों को सड़क पर खड़ा रखना पड़ रहा है. कई ट्रक ड्राइवर काम पर लौटने से हिचक रहें हैं क्योंकि वे बीमारी की चपेट में नहीं आना चाहते. कई मामलों में तो मालिक को ड्राइवरों के साथ बैठ कर ट्रक को चलाना पड़ रहा है.
पश्चिम बंगाल के हुगली यूनाइटेड ट्रक वेलफेयर एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रबीर चटर्जी ने कहा, "हमने वाहन के रखरखाव के काम में भारी खर्च और कठिनाइयों का सामना किया. परिचालन लागत की तुलना में गुड्स ट्रांसपोर्ट सेवा एक छोटे बजट पर काम करती है. केवल दो-तरफ़ा खेप ट्रैफ़िक खर्चों को सहन कर सकता है और मुनाफा कमा सकता है. हमें ड्राइवर और हेल्पर्स, रोड टैक्स, फ्यूल कॉस्ट, लाइसेंस और परमिट रिन्यूअल फीस, इंश्योरेंस प्रीमियम, ऑटो लोन के खिलाफ मासिक किस्त और मेंटेनेंस कॉस्ट जैसे लगभग सभी खर्चों के लिए अपफ्रंट पेमेंट करने की जरूरत होती है. कोरोना ने पूरी प्रणाली को विचलित कर दिया है और हमें वित्तीय देनदारियों में ढकेल दिया है."