नई दिल्ली: भारतीय कारोबारी जगत पर 2019 के दौरान कर्ज उतारने के भारी दबाव के बीच विलय एवं अधिग्रहण सौदों में सुस्ती रही. इस दौरान वैश्विक व्यापार युद्ध के वातावरण में विदेशी कंपनियों ने भारत में अधिग्रहण की योजनाओं से हाथ खींचे रखा.
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यदि आर्थिक सुधारों ने असर दिखाना शुरू किया तो विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों में नए साल से तेजी आ सकती है.
बिजनेस 2019: कंपनियों के अधिग्रहण और विलय सौदों में पूरे साल रही सुस्ती - Slowdown in acquisition and merger deals of companies throughout the year
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यदि आर्थिक सुधारों ने असर दिखाना शुरू किया तो विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों में नए साल से तेजी आ सकती है. वैश्विक व्यापार युद्ध के वातावरण में इस साल कई विदेशी कंपनियों ने भारत में अधिग्रहण की योजनाओं से हाथ खींचे रखा था.
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कंपनी संचालन में खामियों और धन की भारी कमी की वजह से भी 2019 में घरेलू अधिग्रहण गतिविधियां प्रभावित हुईं जबकि अमेरिका - चीन व्यापार युद्ध से उपजी अनिश्चितताओं समेत अन्य विभिन्न कारकों से वैश्विक स्तर पर भी सौदे प्रभाविए हुए. जिससे निवेशकों ने इंतजार करना बेहतर समझा.
विधि सेवा फर्म बेकर मैकेंजी के मुताबिक, भारत में 2019 में 52 अरब डॉलर के विलय एवं अधिग्रहण सौदे होने की संभावना है क्योंकि भारत में विलय एवं अधिग्रहण बाजार के 2019 में सामान्य स्थिति में पहुंच जाने का अनुमान है.
फर्म ने रिपोर्ट में कहा , "2020 में 44.6 अरब डॉलर के विलय एवं अधिग्रहण सौदे होने की संभावना है. कारोबार-अनुकूल सुधारों और अनुकूल वैश्विक परिस्थितियों से 2021 में विलय एवं अधिग्रहण सौदे के तेजी पकड़ने की उम्मीद है."
परामर्श देने वाली वैश्विक फर्म ईवाई के मुताबिक, जनवरी-नवंबर 2019 में 33 अरब डॉलर के 812 विलय एवं अधिग्रहण सौदे हुए.
विलय एवं अधिग्रहण सौदे का औसत आकार 8.1 करोड़ डॉलर रहा. यह पिछले तीन साल का निचला स्तर है. 2018 में विलय एवं अधिग्रहण सौदे का औसत आकार 19.9 करोड़ डॉलर और 2017 में 9.7 करोड़ डॉलर रहा.
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