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SPECIAL: मशरूम उत्पादन ने बदली किस्मत, कभी घर से बाहर न निकलने वाली महिलाएं अब कमा रहीं लाखों

सूरजपुर जिले के तिलसींवा ग्राम पंचायत की महिलाओं के लिए मशरूम उत्पादन उनके आजीविका का साधन बना हुआ है. ईटीवी भारत ने स्वसहायता समूह की महिलाओं से बात की और उनसे मशरूम उत्पादन के बारे में जाना. प्रगति महिला ग्राम संगठन एक स्वसहायता समूह है, जिसमें 32 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. ये सभी महिलाएं मिलकर मशरूम का उत्पादन कर रही हैं और हजारों रुपए कमा रही हैं. देखिए खास रिपोर्ट.

SPECIAL: मशरूम उत्पादन ने बदली किस्मत, कभी घर से बाहर न निकलने वाली महिलाएं अब कमा रहीं लाखों
SPECIAL: मशरूम उत्पादन ने बदली किस्मत, कभी घर से बाहर न निकलने वाली महिलाएं अब कमा रहीं लाखों

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Published : Oct 26, 2020, 4:45 PM IST

सूरजपुर:जिले में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार दिलाने के उद्देश्य से सूरजपुर जिला प्रशासन कई तरह की पहल कर रहा है. बीते दो सालों से महिलाएं मशरूम उत्पादन से लाखों कमा रही हैं. एक दशक पहले सूरजपुर जिले में आर्थिक स्थिति को लेकर हमेशा से ही महिलाओं को भी जूझना पड़ता था. गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाओं के लिए परिवार को समाज में सुदृढ़ करना चुनौती जैसा था. ऐसे में प्रशासन ने कुछ महत्वकांक्षी योजना से महिलाओं की स्थिति को पूरी तरह सुधारने का काम किया है. खासकर आदिवासी क्षेत्रों में ट्राइबल मार्ट, मशरूम उत्पादन, केनापारा पर्यटन स्थल में ट्री गार्ड निर्माण, गौठान में गोबर गैस संयंत्र जैसे दर्जनों योजनाएं महिला समूह को सशक्त बनाने में सफल साबित हुए.

सूरजपुर में मशरूम उत्पादन

सूरजपुर ब्लॉक के तिलसींवा ग्राम पंचायत की महिलाओं के लिए मशरूम उत्पादन उनके आजीविका का साधन बना हुआ है. ईटीवी भारत ने स्वसहायता समूह की महिलाओं से बात की और उनसे मशरूम उत्पादन के बारे में जाना. प्रगति महिला ग्राम संगठन एक स्वसहायता समूह है, जिसमें 32 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. ये सभी महिलाएं मिलकर मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. वर्तमान में मशरूम के 400 बैग की उत्पादन प्रक्रिया को समूह ने पूरा कर लिया है. उन्हें उम्मीद है कि इस बार भी उन्हें इससे अच्छी आमदनी होगी.

मशरूम बना रहा मालामाल

मशरूम का उत्पादन कर रही महिलाएं

स्वसहायता समूह की कोषाध्यक्ष फूलकुमारी राजवाड़े ने बताया कि उनकी टीम ने मिलकर पहलो दो बार भी मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया पूरी की लेकिन उन्हें सही आउटपुट नहीं मिल सका. अब ये तीसरी बार है जब मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है और उन्हें विश्वास है कि इस बार मशरूम का बेहतर उत्पादन होगा. कोषाध्यक्ष ने बताया कि अबतक मशरूम उत्पादन से करीब 76 हजार 930 रुपए की आमदनी हो चुकी है.

मशरूम से बदली महिलाओं की किस्मत

मशरूम उत्पादन सूरजपुर

फूलकुमारी बताती हैं कि पहले महिलाएं सिर्फ घर तक ही सीमित रहा करती थीं. लेकिन जबसे मशरूम की खेती करने लगी हैं, तब से उनकी आर्थिक स्थित में भी सुधार आया है और घर से निकलकर वे आत्मनिर्भर भी बन रही हैं. वे कहती हैं कि पहले घर के हालात ऐसे थे कि बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता था, लेकिन जब से कमाने लगे हैं उन्हें बहुत छूट मिली है, जिससे वे सभी खुश हैं.

मशरूम उत्पादन के लिए मिली ट्रेनिंग

मशरूम से बदली महिलाओं की किस्मत

महिला स्वसहायता समूह की सदस्य फुलवरिया राजवाड़े ने बताया कि उन्होंने मशरूम उत्पादन के लिए ट्रेनिंग ली है. इसके लिए 4 लाख 20 हजार रुपयों की राशि भी दी गई थी. इस राशि से ही मशरूम उत्पादन में लगने वाले सभी सामना खरीदे गए. उत्पादन करने की शुरुआत में बर्बादी भी हुई. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से मशरूम उत्पादन के लिए एक किट दिया गया था. महिला स्वसहायता समूह ने जिला प्रशासन को रोजगार देने के लिए धन्यवाद भी दिया है.

200 रुपए प्रति किलो में बेचा जाता है मशरूम

सूरजपुर जिला पंचायत सीईओ आकाश छिकारा का कहना है कि मशरूम उत्पादन से महिलाओं को रोजगार मिल रहा है और वे आत्मनिर्भर बन रही हैं. सीईओ ने बताया कि सूरजपुर ब्लॉक के तिलसींवा ग्राम पंचायत में एनआरएलएम के अंतर्गत (एसएचजी) स्वसहायता समूहों के काम करने के लिए शेड बनाया है. इस जगह ही महिला समूह काम कर रहे हैं. वर्तमान में जो मशरूम उत्पादन किया जा रहा है, उसमें एक बैग में करीब 4 से 5 किलो मशरूम का उत्पादन हो जाता है. इस मशरूम को 200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बाजार में बेचा जाता है. उन्होंने बताया कि प्रेमनगर ब्लॉक के 3 ग्राम पंचायत और रामानुजनगर के एक ग्राम पंचायत में भी महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर रही हैं.

मशरूम उत्पादन सूरजपुर के ग्रामीण अंचल की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. इससे न सिर्फ महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि इससे हो रही कमाई से अपना घर भी चला रही हैं.

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