नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज दूरसंचार कंपनियों एयरसेल, रिलेसेन संचार और वीडियोकॉन के इनसॉल्वेंसी रिकॉर्ड 7 अगस्त तक मांगा और दूरसंचार कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) देय राशि के भुगतान के लिए समयसीमा पर अपना आदेश सुरक्षित रखा और मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को टाल दी.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बकाया राशि का पुन: निर्धारण नहीं करेंगे.
अपने आदेश में पीठ ने निर्देशित किया, "मामले की सुनवाई करते हुए, हमारे आदेश को पुनर्निधारण या पुनर्गणना की आड़ में रोकने का प्रयास किया गया था. हालांकि, उच्चतम न्यायालय के फैसले में जो कहा गया था, उसके अलावा बकाया के बारे में कोई समायोजन नहीं किया जा सकता है. कोई आपत्ति नहीं मानी जाएगी."
वोडाफोन, टाटा और एयरटेल ने अदालत को आश्वासन दिया कि वे किसी भी पुनर्गणना के लिए नहीं, सिर्फ भुगतान के लिए समय मांग रहे हैं. एसजी तुषार मेहता ने यह भी कहा कि सरकार फैसले का पालन करेगी और बकाए का आश्वासन नहीं देगी.
वोडाफोन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने आज अदालत के सामने गुहार लगाई कि भारत में पूरे निवेश का सफाया हो गया है, 1 लाख करोड़ इक्विटी का सफाया हो गया है और जो भी कमाई थी वह खर्चों में बह गई.
रोहतगी ने कहा, "हमें पहले वर्ष में 2800 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, इसके बाद 1800 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और उसके बाद 523 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. कुल राजस्व 10 साल में 6 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें से खर्च 495 करोड़ रुपये था."
एससी ने पूछा कि अगर वह दशकों से घाटे में चल रहा है तो वह बकाया भुगतान करने की योजना कैसे बना रहा है.