नई दिल्ली: आम्रपाली समूह के हजारों मकान खरीदारों की मदद के लिये आगे आते हुये उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सभी वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया कि वे इन खरीदारों के कर्ज की बकाया राशि का भुगतान करें और इस धनराशि का पुनर्गठन करें.
शीर्ष अदालत ने कहा कि आम्रपाली समूह की आवासीय परियोजनायें कई वर्षों से अधर में लटकी हैं और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने वाले खरीदार अपने निवेश का लाभ भी नहीं उठा पाये हैं. ऐसी स्थिति में मकान खरीदारों के लिये अपने जीवन काल में इस कर्ज की अदायगी मुश्किल हो जायेगी.
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने कहा, "यदि ये परियोजनायें पूरी नहीं हुयी और मकान खरीदार भी अपने फ्लैट का कब्जा मिलने के प्रति आश्वस्त नहीं हुये तो उनके लिये बैंकों की बकाया राशि का भुगतान करना ही मुश्किल हो जायेगा. यह मकान खरीदारों और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं के हित में होगा क्योंकि परियोजना पूरी होने पर वे प्रभावी तरीके से अपनी रकम वापस ले सकेंगे."
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को निर्देश देते हैं कि वे मकान खरीदारों के खाते एनपीए घोषित किये जाने के तथ्य के बावजूद उन मकान खरीदारों का कर्ज जारी करें जिनके ऋण मंजूर हो चुके थे. कर्ज की राशि का पुनर्गठन किया जाये. ऋण देने के रिजर्व बैंक के मौजूदा मानकों और ब्याज की निर्धारित दरों के तहत यह जारी किया जाये."
पीठ ने कहा कि इस मामले के विचित्र तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर यह कर्ज रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित वर्तमान ब्याज दर के आधार पर दिया जाये और इसका दीर्घकालीन पुनर्गठन किया जाये ताकि निर्माण पूरा हो सकें और खरीदार कर्ज अदा कर सकें.