मुंबई: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का संशोधित सेवा प्रभार एक अक्टूबर से लागू होगा, जिसके अंतर्गत जमा और निकासी के साथ-साथ खातों में न्यूनतम मासिक बैलेंस नहीं रहने पर लागू होने वाले प्रभार शामिल हैं.
शहरी क्षेत्र के ग्राहकों के लिए एसबीआई ने खातों में आवश्यक न्यूनतम औसत मासिक बैलेंस की रकम 5,000 रुपये से घटाकर 3,000 रुपये कर दी है.
संशोधित नियमों के तहत अगर किसी खाताधारी के खाते में आवश्यक न्यूनतम मासिक बैलैंस 3,000 रुपये नहीं रखेगा और यह रकम 50 फीसदी कम यानी 1,500 रुपये होगी तो उसे 10 रुपये प्रभार के साथ-साथ जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) देना होगा.
अगर, यह रकम 75 फीसदी कम होगी खाताधारी से सेवा प्रभार के तौर पर 15 रुपये और जीएसटी वसूल किया जाएगा.
ये भी पढ़ें-पीयूष गोयल ने कहा आइंस्टीन ने खोजा गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत, फिर दी सफाई
अर्ध-शहरी क्षेत्र में एसबीआई के खाताधारी को न्यूनतम औसत मासिक बैलेंस 2,000 रुपये रखना होगा, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के खाताधारी को न्यूनतम औसत मासिक बैलेंस 1,000 रुपये रखना होगा.
आवश्यक न्यूनतम औसत मासिक बैलेंस से 50 फीसदी कम रकम खाते में होने पर अर्धशहरी क्षेत्र खाताधारी को 7.50 रुपये और जीएसटी देना होगा. वहीं, खाते में यह रकम 50-75 फीसदी कम रहने पर 10 रुपये प्रभार और जीएसटी लगेगा जबकि खाते में न्यूनतम मासिक बैलेंस से 75 फीसदी से ज्यादा कमी रहने पर 12 रुपये प्रभार और जीएसटी देना होगा.
ग्रामीण क्षेत्र की शाखाओं के खाताधारियों के खाते में आवश्यक न्यूनतम मासिक बैलेंस 1,000 रुपये के 50 फीसदी से कम रकम होने पर पांच रुपये प्रभार और जीएसटी देना होगा जबकि 75 फीसदी तक की कमी पर 7.50 रुपये और जीएसटी लगेगा. वहीं, 75 फीसदी से ज्यादा की कमी होने पर 10 रुपये प्रभार और जीएसटी देना होगा.
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और रियल टाइम ग्रॉस सेट्टलमेंट (आरटीजीएस) प्रभार में बदलाव किया जाएगा.
एसबीआई 10,000 रुपये तक एनईएफटी के माध्यम से हस्तांरण पर प्रभार के रूप में दो रुपये औ जीएसटी लेगा. वहीं, दो लाख रुपये से अधिक की रकम एनईएफटी के माध्यम से हस्तांतरण पर 20 रुपये और जीएसटी लगेगा.
आरटीजीएस हस्तांतरण के लिए दो लाख से पांच लाख रुपये के बीच की रकम पर 20 रुपये व जीएसटी का भुगतान करना होगा जबकि पांच लाख रुपये से अधिक की रकम पर 40 रुपये और जीएसटी लगेगा.