कोलकाता: सरकारी बैंकों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के संगठनों ने बैंकिंग क्षेत्र के संकट को दूर करने के लिये सरकारी बैंकों का निजीकरण करने के नोबेल विजेता अभीजित बनर्जी के सुझाव से असहमति व्यक्त की है.
बनर्जी ने हाल ही में कहा था कि सरकार को सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से कम करना चाहिए, ताकि केंद्रीय सतर्कता आयोग के हस्तक्षेप के बिना निर्णय लिये जा सकें.
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक (पश्चिम बंगाल) सिद्धार्थ खां ने कहा, "हमें यह पता नहीं चलता है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण से संकट कैसे दूर होगा? गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की दिक्कत मुख्यत: आर्थिक सुस्ती, बैंकिंग प्रणाली में अच्छे प्रशासन का अभाव और राजनीतिक हस्तक्षेप हैं. केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को बेचना कोई समाधान नहीं है."