नई दिल्ली: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' (प्रतिबंध) से प्रभावित रीयल एस्टेट क्षेत्र में वेतन में कटौती तथा रोजगार में कमी की आशंका है. नकदी संकट से जूझ रहे क्षेत्र में बिक्री आय लगभग थम सी गयी है. रीयल्टी कंपनियों के संगठनों के अनुसार देशव्यापी बंद से इस क्षेत्र को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है. हालांकि जमीन जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों और सलाहकारों का मानना है कि अगर सरकार उद्योग के साथ-साथ पूरी अर्थव्यवस्था के लिये कोई पैकेज लाती है तो उससे नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है.
कान्फेडरेश्न ऑफ रीयल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई)के चेयरमैन जे शह ने कहा, "कृषि के बाद रीयल एस्टेट क्षेत्र दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है. यह हर तरह के लोगों को रोजगार देता है. निर्माण और अन्य संबद्ध कर्मचारी रीयल्टी क्षेत्र के महत्वपूर्ण हिस्सा है."
उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारी प्राथमिकता श्रमिकों को मूल सुविधाएं उपलब्ध कराने पर है.
शाह ने कहा, "वेतन कटौती के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि महामारी कब तक बनी रहती है."
नेशनल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, "बिक्री पर प्रभाव स्पष्ट दिख रहा है. इसका असर कंपनियों के मुनाफे पर दिखेगा. इसीलिए पहली प्रतिक्रिया में रूप में वेतन कटौती हो सकती है. कुछ नौकरियां भी जा सकती है."
उन्होंने कहा कि कंपनियों की आय पर असर पड़ा है जो पहले से नकदी समस्या से जूझ रहे हैं. इससे कर्ज लौटाने में चूक की स्थिति बन सकती है.