नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने गुरुवार को परेशान ऋणदाता यस बैंक पर 50,000 रुपये से अधिक निकासी पर रोक लगा दी.
बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है.
रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है.
रिजर्व बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग कर दिया है. निदेशक मंडल पिछले छह माह से बैंक के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में विफल रहा. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.
रिजर्व बैंक ने देर शाम जारी बयान में कहा, "केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है."
बयान में कहा गया है कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों से बात कर रहा है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है. बैंक कई निजी इक्विटी कंपनियों के साथ भी पूंजी निवेश के लिए बात कर रहा था.
बयान में कहा गया है कि इन निवेशकों ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार-विमर्श किया, लेकिन विभिन्न वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियामकीय पुनर्गठन के बजाय एक बैंक या बाजार आधारित पुनरोद्धार अधिक बेहतर विकल्प होता इसलिए रिजर्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया के लिए पूरे प्रयास किए. बैंक के प्रबंधन को एक विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना तैयार करने के लिए पूरा अवसर दिया गया, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ सकी.
केंद्रीय बैंक ने अपने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि इन घटनाक्रमों के बीच बैंक से लगातार पूंजी निकलती रही. इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को यस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी.
यदि इस योजना का क्रियान्वयन होता है, तो कई वर्ष में यह पहला मौका होगा, जबकि निजी क्षेत्र के किसी बैंक को जनता के धन के जरिए संकट से उबारा गया. इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स में विलय किया गया था. 2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था.
इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था. ईटीवी भारत से बात करते हुए के श्रीनिवास राव एनआईबीएससीओएम के पूर्व निदेशक ने कहा, "यस बैंक बैंकिंग उद्योग के लिए एक झटका है. आरबीआई को इस तरह के कठोर कदम उठाने पर रोक लगानी चाहिए थी. यह संपार्श्विक क्षति अपूरणीय है."