नई दिल्ली: जैसा कि अगले महीने के अंत तक ऋण चुकौती स्थगन का दूसरा दौर समाप्त हो रहा है. कई बैंकरों ने बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋण चुकौती पर रोक के संभावित विस्तार के खिलाफ बात की है.
आईडीबीआई बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ किशोर करात ने कहा कि पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे 90 दिनों के लिए दिया था, और फिर इसे बढ़ाकर 180 दिनों के लिए बढ़ा दिया था. इसलिए यह विस्तार किस हद तक जाएगा. यह कहा नहीं जा सकता.
इस साल मार्च में रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने उन व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए ऋण अदायगी पर 90 दिनों की मोहलत की घोषणा की थी जिनका व्यवसाय और रोजगार पूर्ण राष्ट्रव्यापी तालाबंदी से प्रभावित था.
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मई में आरबीआई ने रोक को और 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया. जिससे इसे वाणिज्यिक और व्यक्तिगत ऋणों के पुनर्भुगतान पर छह महीने की मोहलत मिल गई. कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण आर्थिक मंदी और नौकरी के नुकसान के कारण लोगों और व्यवसायों को अपने ऋण चुकाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है.
पिछले साल के आखिर में चीन में पहला मामला सामने आने के बाद महज सात महीने में इस वायरस ने भारत में 26,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है.
आईएमएफ के एक अनुमान के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था को 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने की आशंका है. भारत की आर्थिक वृद्धि भी चालू वित्त वर्ष में नकारात्मक होने की संभावना है.
किशोर खरात जिन्होंने आईडीबीआई बैंक में कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन (सीडीआर) तंत्र को संभाला है वे कहते हैं कि रिजर्व बैंक ने मई में स्थगन को एक और 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया क्योंकि सरकार ने उस समय देश में आर्थिक गतिविधि को अनलॉक करना शुरू नहीं किया था.