लखनऊ: बिजली वितरण के निजीकरण की तैयारियों के विरोध में बृहस्पतिवार को बिजली अभियंताओं तथा अन्य कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया.
ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने यहां एक बयान में बताया कि राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश के सभी प्रांतों के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में जोरदार राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर आमादा हैं जिसके विरोध में देश भर के बिजली कर्मियों ने आज प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया.
दुबे ने बताया कि बिजलीकर्मियों ने विरोध सभाएं एवं प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को निरस्त करने की मॉंग की और चेतावनी दी कि अगर निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी.
निजीकरण से आम उपभोक्ताओं को नुकसान
उन्होंने बताया कि बिजली कर्मियों ने उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से निजीकरण विरोधी आन्दोलन में सहयोग करने की अपील की और कहा कि निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान आम उपभोक्ताओं का ही होने जा रहा है.