करौली: दिवाली पर घरों की सफाई और सजावट की परंपरा है. रोशनी के पर्व के आते ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई में जुट जाते है. महीनों पहले से ही लोग रंग रोगन का काम शुरू कर देते हैं. दिवाली के नजदीक आते ही बाजारों में स्थित पेंट की दुकानों पर लोगों की भीड़ जुट जाती है. खासकर के दिवाली के मौके पर ही इन दुकानदारों की बिक्री होती है अच्छा मुनाफा कमाते हैं.
दुकानदारों के साथ ही रंगाई पुताई का काम करने वाले मजदूर वर्ग को भी काम मिलता है, लेकिन हर साल की तुलना मे इस साल दुकानदारी बिलकुल फीकी पड़ी हुई है. दुकानदार सिर पकड़ कर बैठे है तो मजदूरों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. जिसका इस बार मुख्य कारण है कोरोना महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी.
दरअसल कोविड-19 महामारी ने रंगाई पुताई करने वाले मजदूरों की कमर तोड़ कर दी है. बाजारों में रंग, पेंट की दुकानों पर दुकानदार जहां खाली बैठे हैं, वहीं मजदूर भी काम न होने से परेशान हैं. बजट के अभाव में ज्यादातर लोग इस बार दिवाली कम बजट में ही मनाने की तैयारी में हैं.
दिवाली में एक माह पहले ही शहर और ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के घरों पर रंग पुताई का कार्य शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार कोविड-19 की मार से रंगाई पुताई करने वाले मजदूरों और दुकानदारों पर दोहरी मार पड़ी है. जिनके यहां नवंबर और दिसंबर माह में शादी समारोह आयोजित होने वाले हैं वह भी इस बार रंगाई पुताई के कार्य से बच रहे हैं.
मजदूरी मे भी घाटा
रंगाई पुताई का कार्य करने वाले मजदूर गिर्राज ने बताया की कोरोना की वजह से लोगों पर आर्थिक मंदी की मार है. जिस वजह से मजदूरी नही मिल पा रही है. पहले तो इस समय तक लाखों रूपए तक की कमाई कर लेते थे, लेकिन इस बार कुछ भी नहीं है. बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है. मजदूर सुरेश ने बताया कि पिछली बार तो दीपावली अच्छी कमाई हो गई थी, लेकिन इस बार तो मजदूरी में भी घाटा है. मजदूरों के अनुसार पहले पांचो सौ रूपए प्रतिदिन मजदूरी मिल जाती थी. जो इस बार 250-300 पर आ गई है. इस महामारी के दौर में भी प्रतिदिन काम नहीं मिलता है. हालत यह हो गई है की घर चलानें के लिए भी पैसे नहीं है.