दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

सिर्फ 10 प्रतिशत मुख्य कार्यकारी कृत्रिम मेधा को लेकर आश्वस्त : पीडब्ल्यूसी

पीडब्ल्यूसी इंडिया ने मई से सितंबर, 2019 के दौरान भारत और अन्य क्षेत्रों में 1,000 से अधिक सीईओ और कारोबारी निर्णय करने वाले लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया.

By

Published : Oct 6, 2019, 3:04 PM IST

सिर्फ 10 प्रतिशत मुख्य कार्यकारी कृत्रिम मेधा को लेकर आश्वस्त : पीडब्ल्यूसी

नई दिल्ली: सिर्फ 10 प्रतिशत भारतीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कृत्रिम मेधा (एआई) एप्लिकेशंस की विश्वसनीयता पर भरोसा करते हैं. पीडब्ल्यूसी इंडिया के एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है.

पीडब्ल्यूसी इंडिया ने मई से सितंबर, 2019 के दौरान भारत और अन्य क्षेत्रों में 1,000 से अधिक सीईओ और कारोबारी निर्णय करने वाले लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया.

पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई में किसी जटिल समस्या का हल प्रभावी तरीके से करने की क्षमता होती है लेकिन कई बार खराब तरीके से डिजाइन एप्लीकेशन से फायदे के बजाय नुकसान अधिक पहुंचता है. इस अध्ययन का मकसद भारत में एआई के परिदृश्य को लेकर समझ बनाना है.

ये भी पढ़ें:वाहन उद्योग के समक्ष संरचनात्मक मुद्दे, कीमत कम रखने की चुनौती: किर्लोस्कर

रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार ऐसी एआई प्रणाली में निवेश करने की जरूरत है जो जिम्मेदार, समझ में आने योग्य और नैतिक हो, जिससे उपभोक्ताओं का भरोसा कायम किया जा सके. कृत्रिम मेधा को ऐसी प्रौद्योगिकियों का संग्रह कहा जा सकता है जो किसी चीज का अनुमान लगा सकती हैं और विचार कर सकती हैं तथा एक तर्कसंगत तरीके से मनुष्य की तरह कोई काम कर सकती हैं.

पीडब्ल्यूसी इंडिया ने कहा कि इस सर्वेक्षण में प्रौद्योगिकी, मीडिया और दूरसंचार, वित्तीय सेवाएं, पेशेवर सेवाएं, स्वास्थ्य, औद्योगिक उत्पाद, उपभोक्ता बाजार, सरकार और सुविधाओं से जुड़े लोगों के विचार लिए गए.

रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर और भारत के ज्यादातर मुख्य कार्यकारियों का कहना था कि उनके पास ऐसा माध्यम नहीं है जिसके जरिये वे अपने एआई समाधान की विश्वसनीयता सुनिश्चित कर सकें.

दिलचस्प तथ्य है कि भारत के मात्र दस प्रतिशत मुख्य कार्यकारी ही अपने कृत्रिम मेधा एप्लीकेशन को लेकर आश्वस्त थे. पीडब्ल्यूसी इंडिया के 'लीडर एडवाइजरी' दीपांकर सन्वलका ने कहा कि यह देखना उत्साहवर्धक है कि ज्यादातर भारतीय संगठन आने वाले वर्षों में एआई को अपनाने को तैयार हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details